(बहुत
ही दु:खद समाचार है कि श्री कुलदीप जैन का
31 जुलाई
2022 रात शाहदरा दिल्ली में देहान्त हो गया। वे लघुकथा -जगत् के पुराने एवं
चर्चित लेखकों में से एक थे। उनकी 1989 में
बरेली लघुकथा सम्मेलन में पढ़ी गई लघुकथा -रक्षा-कवच का मेरा गढ़वाली अनुवाद ,श्रद्धांजलि स्वरूप प्रस्तुत
है)
गढ़वाली अनुवाद: डॉ. कविता भट्ट
उ चारि नेवादै कि बदनाम बस्ती क उछियदि आज बि अपडा शिकारै कि खोजम छा। भले ई स्टेट
पुलिस टकटकि हुईं छै
, पर पुलिस वळो तैं चकमा देण वु जणदा छा। भलु हो वीं
अण्डरवर्ल्ड पत्रिका कु, जम्मा सिकार पर कनमां झपटे जाउ,
यु चित्र कि दगडि समझयूं छौ।
"क्लार्क देखा, सैत क्वी
कार च।"
"सैत, सैत से तुमरु क्य
मतलब च, तुम इतगा दिन बिटि हम दगडि छां-तुम इतगा बि अंदाज नि
लगै सकदां कि" कु वळि मैक कि गाड़ी च। "
गाड़ी फोर्ड कारखानै कि नयि मॉडल लगणी च। विचार
क हिसाब से वु चारि सड़कि म पोडी गे छा। जोर सि ब्रेका दगडि 'मिनी लिण्डा' रुकी और धड़ाम सि दरवाजा खुलिन-बिगरैलि
नौनी क हत्थ म पिस्तौल छै।
-देखा तुरन्त भगी जावा, तुमरी बदमासी सैरू अमरीका जाण गे।
उ चारि बेरोजगार ज्वान घबरै गेन। उ चुपचाप
उठिक अर एक तरफ जाण लगि गेन। ज्वान नौनी विजयी अंदाज माँ लापरवाह चाल से पलटी अर
ठंडू करिक कारौ कु दरवाजु ख्वेली। उ चारि बाजै कि सि फुर्ती सि वीं ज्वान नौनी पर
झपटिन अर अँधेरै तरफां लिजाण लगि गे। ज्वान नौनी भले ई उं कि ये कमाण्डो कि तरां
तरिका सि हैरान छाई, पर व न तो चिल्लाई च अर न ई चिल्लै-चिल्लैकि
हथ-खुटटा मारेन।
' फाड़ द्या ईं का कपडा फैड्रिक" नफरत सि जॉन
हिट्टन न बोली। आदेसौ कु पालन ह्वे। ज्वान नौनी नांगी ई रेगिस्तानी धरती पर पणी छै
अ र वु झपटण सि पैलि अपडा सिकर तैं परेखण लग्याँ छा।
-पीटर देख धौं, कन मुल-मुल हैंसणी च-मि तैं त रन्डी लगणी च।
-पर मि तैं त कालेज गर्ल या सेल्स गर्ल लगणि च। नौनी अब भी मुल-मुल हैंसणि छै।
–सैत ईं का सौंजड़ीया न ईं तैं ध्वका दे ह्वाल, इलैई ईंन हल्ला किलै मचौण।
"ऐ छोरी! क्य त्वी तैं हम देखिकी डौर नि च लगण
लगीं?"
"अपडु काम करा अर जावा," आराम से नांग्गी पड़ी नौनी न बोलि। वीं की यीं बात पर चारियों न एक-दूसरै
कि तरफां देखि अर कुछ असमंजसै कि स्थिति माँ ऐ गेन।
"दरसल, जब तक हमारू सिकार
चिलाउू-तड़पू ना, हम मज़ा ई नी आन्दु।"
"चुप हरामी औलाद" , जान
चिल्लै अर नौनी पर झुकि गे, वा अब बि मुल-मुल हैंसण लगीं छै।
जान परेशान ह्वे ग्याई।
"अच्छा अगर तु इन बतै दे कि त्वे हम देखि डौर
किलै नि लगदु, ह्वे सकदु हम त्वे तैं छोड़ द्यौं।"
–"पर मि छुटण नी चान्दु, अपडु काम जल्दी खत्म करा, मि तैं देर हुणी च।"
ईं बात पर चरियों न एक दूसरै तरफां देखि।
अचानक फैड्रिक न नौनी की तरफां खचाक से चाकू ताणी दे-"बोल-जल्दी बोल कि तू हम
देखि डन्नि किलै नी छैं।"
नौनी तैं अपडु अस्तित्व मिटदु दिखे। वींकी
हैंसी गैब ह्वे गे छै। वा कौंपण लगि गे-उन बि नांगी
कुंगळु सरीर ठण्डी रेत माँ कौं हि छौ।
-"जु मि नी चान्दु छौ, आप मि तैं वीं बातौ तैं ई मजबूर कन्ना छां। मि 'एड्स' की मरीज छौं। सैकिण्ड स्टेज म चन्नु छौं।"
इतगा सुण छौ कि वु चारि भूतै कि तरां अँधेरा म
गैब ह्वे गेन। नौनी न इनां उन्नां पड़याँ फट्याँ कपड़ा उठैन अर कार म जैक बैठि गे।
वा पत्रकार नौनी अपडी सफलता पर मन ही मन मुल-मुल हैंसणी छै।
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ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे व स्वर्ग के द्वार खोल अपने चरणों में स्थान दे।
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏
कुलदीप जी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि।ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।
जवाब देंहटाएं🙏💐😢
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