चम्पा के फूल
डॉ. कविता भट्ट 'शैलपुत्री'
प्रेमी ने बाहें फैलाते
हुए कहा -
सुनो सुनैना
मैं बाहर खड़ा हूँ
हाथों में
कुछ चंपा के फूल लिये
हुए,
फूल जो तुम्हारी घुँघराली
लटों पर
सजकर इतराना चाहते हैं,
फूल जो विश्वास दिलाना
चाहते हैं-
कि प्रेम ऐसा भाव है,
जो अगाध है, अनंत है:
आओ इन फूलों को विश्वास
दिलाओ
कि ये तुम्हारे पावन
प्रेम के योग्य हैं।
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