ज्योति नामदेव
मौसम तो लाया है बहार
किन्तु बिखर चुका मेरा संसार
ये प्रकृति मेरे लिए बनी है अंगार
बस तुम एक बार आ जाओ
फूलों पर मंडरा रहे है भंवरे
बादल भी उमड़ -उमड़ कर गरजे
किन्तु मै बनी निष्ठुर प्राण
बस तुम एक बार आ जाओ
बुलाते तुझे वो नदिया के धारे
पुकारे तुझे वो चन्दा- सितारे
है कहाँ तू ओ मेरे उजियारें
बस तुम एक बार आ जाओ
नैनो के अश्रु भी अब सूख गए
क्यों वो हमसे आज रूठ गए
फिर से बनो मेरे जीवन -शृंगार
मेरी सूनी जिंदगी में आये बहार
बस तुम एक बार आ जाओ
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