गुरुवार, 30 मई 2019

बहार

ज्योति नामदेव 

मौसम तो लाया है बहार 
किन्तु बिखर चुका मेरा संसार 
ये प्रकृति मेरे लिए बनी है अंगार 
बस तुम एक बार आ जाओ 

फूलों पर मंडरा रहे है भंवरे 
बादल भी उमड़ -उमड़ कर गरजे 
किन्तु मै बनी निष्ठुर प्राण 
बस तुम एक बार आ जाओ 

बुलाते तुझे वो नदिया के धारे 
पुकारे तुझे वो चन्दा- सितारे 
है कहाँ तू मेरे उजियारें 
बस तुम एक बार आ जाओ 

नैनो के अश्रु भी अब सूख गए 
क्यों वो हमसे आज रूठ गए 
फिर से बनो मेरे जीवन -शृंगार 
मेरी सूनी जिंदगी में आये बहार 
बस तुम एक बार आ जाओ 
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