गुरुवार, 28 फ़रवरी 2019

खून का रंग हो गया है सुर्ख लाल


आज खून का रंग हो गया है, 
सुर्ख लाल 
इंडियन फोर्स आतंकियों का, 
बन कर आई है काल 
भारत जमीं है शेरों की 
नस -नस में बह रही,
देशभक्ति की धार
बंद कर आंतक का तमाशा, 
मान ले अपनी हार 
जुबान बस में रख अपनी 
ज्यादा बोले तो उतार लेंगे खाल 
आज खून का रंग हो गया है सुर्ख लाल l

हम शान्ति के दूत हैं, कहर बनना भी जानते है 
मत समझ नादान हमें, 
उलझ मत हमसे तूँ 
आज शिव तांडव ने मिलाई, 
भारत वीरों से ताल 
आज खून का रंग हो गया है सुर्ख लाल 

इक्कीसवीं सदी के नायक हम है 
विशाल वेग बहता समुन्द्र हम है 
खुद शक्ति भी आज भारत में है विराजमान 
समुन्द्र के वेग को कौन रोकेगा भला 
फिर आतंकियों की क्या बिसात 
आज खून का रंग हो गया है सुर्ख लाल 

विचारधाराएँ बदलो, वरना हो जाओगे नेस्तोनाबूद, 
हम मशाल राष्ट्रभक्ति की, 
चलते -फिरते हम बारूद 
आसान नहीं, भारत को वश में करना 
आज भारत बन चुका है, 
अंतराष्ट्रीय शक्ति-उन्नति की मिसाल 
आज खून का रंग हो गया है 
सुर्ख लाल 

वन्देमातरम 

ज्योति नामदेव 
सहायक अध्यापिका
हरिद्वार उत्तराखंड

मंगलवार, 26 फ़रवरी 2019

अब भारत माँ की बारी है


ज्वार दिलों में,गर्म है लावा
शोला, हर जवान चिंगारी है। 

नापाक ने आँखें टेढ़ी की थीं
अब भारत माँ की बारी है।

हम शान्ति दूत बन जीते जाते 
यह तांडव फल, तेरी गद्दारी है।

शिवरात्रि पूर्व अब महाकाल ने
विष पी, तीजी आँख पसारी है।

तुझे अब भी शायद इल्म नहीं
पराजय- तेरी पुरानी बीमारी है।

इस धरती पर हर बालक शिव है,
बाला- भैरवी, दुर्गा सिंह सवारी है। 

रोयेगा तू, यहाँ कोई इमरान नहीं
मोदी यहाँ सवा शेर सी खुद्दारी है। 

           -           डॉ कविता भट्ट 'शैलपुत्री'

रविवार, 17 फ़रवरी 2019

105-युवा लेखनी


1-मोहन लाल
1
करते रहे हैं सदा वतन की तो रक्षा जो
उनका तो हमेशा ही सम्मान होना चाहिए
भारत भूमि के लिए प्राणों को गवाँते हैं जो
उनका सदा ही आदर मान होना चाहिए
देश के लिए हम जिए और मरेंगे सदा
ऐसा हृदय में तो स्वाभिमान होना चाहिए
हिमालय की चोटी पे झंडा मेरा लहराए
और मेरा भारत ये महान होना चाहिए
2
वंदेमातरं गान गाने से भी जो रोकते हैं
भारत माता की जय से जो कोई लजाते है
देश के विरोध में जो नारेबाजी करते हैं
पाक से प्रेम कर वो औकात भी दिखाते हैं
उनको क्या पता जन गण मन गान का जो
राष्ट्र गान में भी खड़े तक ना हो पाते हैं
वीरों की शहादत पे आँसू तक बहते ना
पत्थरबाज तक को महान जो बताते हैं
-0-तहसील पिहोवा, जिला कुरुक्षेत्र-136030

2- स्वाति शर्मा  (पानीपत)

कहाँ है तू रब्बा 
है भी के खो गया 
या राक्षसों से डरकर 
तू भी कहीं सो गया। 
तेरे मासूम, बेगुनाह 
बेवजह जान गवाँ चुके 
और तू किसी कोने में 
समाधि लगाए बैठा है। 
इंसानियत मर गई है 
छाया घोर अंधेरा है 
देख तो सही बेगुनाहों को 
किस षड्यंत्र ने घेरा है।
अब तो उठ जा 
त्रिनेत्र खोलकर 
या अब भी तेरा 
मन ना भरा है।। 
उठ जा कहीं 
देर ना हो जाए 
विश्वास कहीं 
अंधविश्वास ना हो जाए।
कहाँ है तू रब्बा 
है भी के खो गया 
या राक्षसों से डर कर 
तू भी कहीं सो गया !
-0-
3-आह्वान करो
ओम प्रकाश (पंचकूला)

शांति का आलाप छोड़कर
आज क्रान्ति का गान करो
मेरे युवा साथियो
युद्ध का आह्वान करो

कुछ जानो की बात नही ये
रोग बहुत पुराना है
आतंकवाद के कीड़े का
नामो- निशान मिटाना है
बहुत हुआ अब और नही
माफी का दान बंद करो
मेरे युवा साथियो
युद्ध का आह्वान करो

जो देश मे मेरे रहते है
भारत की रोटी खाते है
और गद्दारी दिखलाते है
ऐसे सँपोले लोगो से
उनकी ही भाषा मे बात करो
शांति का आलाप छोड़कर 
राग दीप का गान करो 
मेरे युवा साथियो 
युद्ध का आह्वान करो !
-0-

गुरुवार, 14 फ़रवरी 2019

हुनर

जीवन की परखनली में 
नए-नए रसायन डालकर
गुलाबी रंग बना रहा हो जो
उसी वैज्ञानिक से पूछो
रंगों के आविष्कार और
उनमें ढलने का हुनर।

उठाता है इरादों को जो
अपने हौसलों से बार -बार
जिसकी आशाएँ छूटी हों
रूमाल सी हाथ से बार-बार
उसी मुसाफिर से पूछो                                     डॉ कविता भट्ट 'शैलपुत्री'
राहे-ज़िंदगी चलने का हुनर 














बुधवार, 13 फ़रवरी 2019

मोसुल की लड़कियाँ

बड़ी खूबसूरत हैं मोसुल की लड़कियाँ । 
बिकने को मजबूर हैं,मोसुल की लड़कियाँ । 
क्या दाम हैं , आँखों से करें 
तय तो ज़रा हम ।
कोई नीली हैं
हरी कोई
मोसुल की लड़कियाँ ।
कि , हिज़ाब हटाना 
गुनाह- ए - अज़ीम है । 
लिबास में लिपटी नहीं 
मोसुल की लड़कियाँ ।

कोने में खड़ी 
काँप रहीं , कोस रहीं हैं ।
आतंक के साये में
मोसुल की लड़कियाँ ।
ख़रीदी गई हिसाब से
हर इंच नाप कर ।
और हो गई नापाक फिर 
मोसुल की लड़कियाँ ।
रिहाई उम्मीद थी ,
और उम्मीद रह गई ।
कि हो गई हैं क़ैद 
मोसुल की लड़कियाँ ।

हैं तेल के कुँए 
आँसू की कमी है ।
पानी की कब्रगाह में 
मोसुल की लड़कियाँ ।
और प्यास बुझाते 
खुद रह गईं प्यासी 
बियाबान , बियाबान 
मोसुल की लड़कियाँ । 


-0-
सरस्वती विहार , न्यू डी ब्लॉक , लेन नम्बर-,अजबपुर खुर्द ,देहरादून ।

शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2019

तू मानवी है- अखंडित

ज्योति नामदेव

बंद कर बहाना आँखों से पानी

क्या कहूँ, कैसे कहूँ, नारी तेरा बखान
आज तक तू खुद ही है, अपने से अनजान

कस्तूरी मृग जैसे ढूँढता है, अपनी सुगंध
पगला घूमे, देख-फिरे वन-मन में लिये द्वंद्व।

ऐसे ही तू भी अपनी शक्तियों से नहीं परिचित,
छली-ठगी जाती है, पग-पग पर इसलिए निश्चित,

जरा गौर से देख स्वयं को नहीं किसी से कम,
चाहे हो उजला सवेरा या हो घनघोर तम l

नदियों के जल को जहाँ रोज है पूजा जाता,
वहाँ हर रोज गंगा सी काया को निर्मम बेचा जाता l

तू मानवी है- अखंडित, खंड -खंड होकर भी संगठित l
कोई न आएगा बचाने, तू स्वयं सशक्त अकल्पित

कैसे मूर्ख प्राणी है इस समाज में बसते,
गंगाघाट पर रहकर भी गंगा स्नान से तरसते l

तू अगम, सुगम अपने को पहचान,
तू होगी ,तभी तो होंगे, इस समाज में प्राण l

कुदरत की सबसे सुन्दर कृति है तू,
सद्गुणो की पुंज और असीम शक्ति है तू

हा !हा ! हा !मत कर विलापशोषकों का कर विनाश
है तू अपराजिता तू गुंजायमान हास

बनना छोड़ अब तू रसिकों की रसिका।
स्वावलम्बी हो और चला अपनी आजीविका l

शोधक है तू , भोजक नहीं, कर सतीत्व का नृत्य,
क्यों सोचे इतना, तुझ संग अपने ही करते कुकृत्य l

मत बन दुःख का बादल जो आज उमड़े कल मिट चले,
काल बन अपराधियों की, जो तेरी अस्मिता से खेलेंl

तू रीत नहीं ,जो निभाई जाए,तू  बाँसुरी नहीं ,जो बजाई जाए।
तू वस्तु नहीं ,जो भोगी जाए,तू नशा नहीं जो पिया जाए।

तू प्रकृति, गंगाजल, दूध, ममता, शक्तियों का भंडार है दयानिधे!

तू अनंत, अगम्य, रागिनी- सी बजती,

उपमान भी फीके पड़े, जब तू गरजती l

अब तू रच एक कठोर कहानी,
बंद कर बहाना आँखों से पानी ।

क्या कहूँ, कैसे कहूँ, नारी तेरा बखान,
आज तक तू खुद ही है अपने से अनजान।
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रविवार, 3 फ़रवरी 2019

101

डॉ.कविता भट्ट 
1
कोई भी अपना नहीं,ना ही जाने पीर।
ओ मन अब तू बावरे,काहे धरे न धीर।।
2
ऐसे तुम रूठे पिया, ज्यों मावस में चाँद।
आ जाओ इक बार तो, घोर रात को फाँद।।
3
कंटक- पथ पर चल रही, तेरी यादें साथ।
कुछ भी जग कहता रहे, तू न छोड़ना हाथ।।