बिकने को मजबूर हैं,मोसुल की लड़कियाँ ।
क्या दाम हैं , आँखों से करें
तय तो ज़रा हम ।
कोई नीली हैं ,
हरी कोई ,
मोसुल की लड़कियाँ ।
कि , हिज़ाब हटाना
गुनाह- ए - अज़ीम है ।
लिबास में लिपटी नहीं
मोसुल की लड़कियाँ ।
कोने में खड़ी
काँप रहीं , कोस रहीं हैं ।
आतंक के साये में ,
मोसुल की लड़कियाँ ।
ख़रीदी गई हिसाब से ,
हर इंच नाप कर ।
और हो गई नापाक फिर
मोसुल की लड़कियाँ ।
रिहाई उम्मीद थी ,
और उम्मीद रह गई ।
कि हो गई हैं क़ैद
मोसुल की लड़कियाँ ।
हैं तेल के कुँए
आँसू की कमी है ।
पानी की कब्रगाह में
मोसुल की लड़कियाँ ।
और प्यास बुझाते
खुद रह गईं प्यासी
बियाबान , बियाबान
मोसुल की लड़कियाँ ।
-0- सरस्वती विहार , न्यू डी ब्लॉक , लेन नम्बर-4 ,अजबपुर खुर्द ,देहरादून ।
क्या दाम हैं , आँखों से करें
तय तो ज़रा हम ।
कोई नीली हैं ,
हरी कोई ,
मोसुल की लड़कियाँ ।
कि , हिज़ाब हटाना
गुनाह- ए - अज़ीम है ।
लिबास में लिपटी नहीं
मोसुल की लड़कियाँ ।
कोने में खड़ी
काँप रहीं , कोस रहीं हैं ।
आतंक के साये में ,
मोसुल की लड़कियाँ ।
ख़रीदी गई हिसाब से ,
हर इंच नाप कर ।
और हो गई नापाक फिर
मोसुल की लड़कियाँ ।
रिहाई उम्मीद थी ,
और उम्मीद रह गई ।
कि हो गई हैं क़ैद
मोसुल की लड़कियाँ ।
हैं तेल के कुँए
आँसू की कमी है ।
पानी की कब्रगाह में
मोसुल की लड़कियाँ ।
और प्यास बुझाते
खुद रह गईं प्यासी
बियाबान , बियाबान
मोसुल की लड़कियाँ ।
-0- सरस्वती विहार , न्यू डी ब्लॉक , लेन नम्बर-4 ,अजबपुर खुर्द ,देहरादून ।
नीलाम्बरा में आपकी पहली रचना का स्वागत, बधाई। बेजोड़ रचना।
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