मंगलवार, 26 फ़रवरी 2019

अब भारत माँ की बारी है


ज्वार दिलों में,गर्म है लावा
शोला, हर जवान चिंगारी है। 

नापाक ने आँखें टेढ़ी की थीं
अब भारत माँ की बारी है।

हम शान्ति दूत बन जीते जाते 
यह तांडव फल, तेरी गद्दारी है।

शिवरात्रि पूर्व अब महाकाल ने
विष पी, तीजी आँख पसारी है।

तुझे अब भी शायद इल्म नहीं
पराजय- तेरी पुरानी बीमारी है।

इस धरती पर हर बालक शिव है,
बाला- भैरवी, दुर्गा सिंह सवारी है। 

रोयेगा तू, यहाँ कोई इमरान नहीं
मोदी यहाँ सवा शेर सी खुद्दारी है। 

           -           डॉ कविता भट्ट 'शैलपुत्री'

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