सदा मेरे पास
पूनम सैनी
सुना है लोगों से,
जो नहीं होते ,
वे भी होते है इस जहान में;
दूर टिमटिमाते तारे के रूप में।
देखते है हमें वहीं से ,
दूर से मुस्कुराते हुए।
तो आप किस तारे में छिपे है?
किस ओर खोजूँ मैं आपको?
क्या देखते हो आप मुझे भी वहाँ से?
गर आप भी हो उस आसमान में,
तो चमको ना मेरी आँखों आगे!
जो नहीं होते ,
वे भी होते है इस जहान में;
दूर टिमटिमाते तारे के रूप में।
देखते है हमें वहीं से ,
दूर से मुस्कुराते हुए।
तो आप किस तारे में छिपे है?
किस ओर खोजूँ मैं आपको?
क्या देखते हो आप मुझे भी वहाँ से?
गर आप भी हो उस आसमान में,
तो चमको ना मेरी आँखों आगे!
कह दो ना यहीं हूँ मैं,
पास तुम्हारे।
देखो ना पापा ,ये सावन ,
ये घटाएँ, ये बिजली
क्यों चले आते है?
कहो ना मेघों को
ना बरसें कभी।
कह दो हवा से
बहाले ये इन घटाओं को।
चाँद भी तो नहीं बिखेरता
सदैव यूँ ही रोशनी।
तो कैसे देखूँ मैं आपको7
इन असमर्थ आँखों से।
सच कहूँ!
ये हवाएँ भी अहसास कराती है मुझे,
आपके होने का।
छू लेते हो अपने आशीष भरे हाथों से
मेरे सर को।
उस रात जब जन्मदिन था मेरा,
और कड़की थी बिजली रात के सन्नाटों में,
कहो-
तुम ही थे ना पापा।
जानती हूँ ,
यही हो साथ अपनी बिटिया के,
आस-पास हमेशा...
-०-
पास तुम्हारे।
देखो ना पापा ,ये सावन ,
ये घटाएँ, ये बिजली
क्यों चले आते है?
कहो ना मेघों को
ना बरसें कभी।
कह दो हवा से
बहाले ये इन घटाओं को।
चाँद भी तो नहीं बिखेरता
सदैव यूँ ही रोशनी।
तो कैसे देखूँ मैं आपको7
इन असमर्थ आँखों से।
सच कहूँ!
ये हवाएँ भी अहसास कराती है मुझे,
आपके होने का।
छू लेते हो अपने आशीष भरे हाथों से
मेरे सर को।
उस रात जब जन्मदिन था मेरा,
और कड़की थी बिजली रात के सन्नाटों में,
कहो-
तुम ही थे ना पापा।
जानती हूँ ,
यही हो साथ अपनी बिटिया के,
आस-पास हमेशा...
-०-