[ डॉ. कुमुद बंसल ,
निदेशक हरियाणा साहित्य अकादमी के निर्देशन में महाविद्यालय के विद्यार्थियों को लेखन से जोड़ने का एक अभियान चलाया गया । आज हमने
‘नवांकुर’ स्तम्भ के अंतर्गत उनकी रचनाएँ नीलाम्बरा पर देने की शुरुआत की है . आशा
है। अन्य रचनाकारों को भी हमारा यह प्रयास
पसंद आयेगा ।
डॉ.कविता भट्ट, हेमवती
नन्दन बहुगुणा ,केन्द्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर , गढ़वाल (उत्तराखंड ) ]
खुशबू कुमारी की कविताएँ
( हरियाणा साहित्य
अकादमी की लेखन -परिष्कार कार्यशाला की प्रतिभागी
छात्रा )
1-प्यार का दर्द
मैंने पूछा उससे,
मैं तुम्हारी क्या
हूँ ?
उसने कहा -तुम ज़मीं,
मैं आसमान हूँ।
मेल न होगा हमारा
कभी,
तुम आने वाली सुबह,
मैं ढलती शाम हूँ।
प्यार उन लोगों के
बीच होता है,
जिनमें कोई भेद
नहीं,
तुम शीतल जल,
मैं आग का गोला,
ये कहने में मुझे
खेद नहीं।
तुम प्यार की मूरत,
मैं नफरत की सूरत,
हमारे बीच कई हैं
फासले।
फिर किसलिए हम साथ
चलें ?
यह उसका कहना है,
संग न हमें रहना
है।
सब कस्मे -वादे भूल जाओ तुम,
फिर से नई दुनिया
बसाओ तुम।
कैसे उसको भूल जाऊँ
मैं,
सब कुछ पीछे छोड़
जाऊँ मैं।
रिश्ता था जो प्यार
का,
कैसे उसको तोड़ जाऊँ
मैं।
अजीब-सी
कश्मकश में फँसी
हूँ,
नहीं पता मुझे मैं
कहाँ खड़ी हूँ।
रस्ता कोई दिखता
नहीं है,
बिना दाम कुछ टिकता
भी नहीं है।
प्यार का दर्द तो
सहना ही पड़ेगा,
हर किसी को प्यार
मिलता जो नहीं है।
-०-
2- दो सच जीवन के
सुख दुःख हैं दो सच
जीवन के,
जीत मिलेगी तुमको
भी फिर,
तुम खुद का विस्तार
करो ।।
जहाँ अँधेरा घेरे
उदय को,
उजियारा बन नाम करो
।
लक्ष्य को पाने की
खा़तिर,
कोशिश तुम हज़ार करो
।।1।।
चुनौतियों से नहीं
डरो तुम,
पर्वत उच्च विशाल
बनो ।
भय से काँप जाए
शत्रु भी,
तुम ऐसी एक मिसाल
बनो ।।2।।
भारत माँ के लाल हो
तुम,
माँ का अपनी मान
करो ।
इसकी सुरक्षा की
ख़ातिर,
प्राण को अपने दान
करो ।।3।।
मातृभूमि है जान
तुम्हारी,
मातृभूमि से प्यार
करो ।
संस्कार को नहीं भूलना
,
कोई बुरा न काम करो
।।4।।
दुःख जीवन में जब
भी आए,
कदम न पीछे चार करो।
रण में लड़ते वीर की
भाँति,
तुम भी दो-दो वार करो
।।5।।
सुख दुःख हैं दो सच
जीवन के,
कठिन डगर को पार
करो ।।
जीत मिलेगी तुमको
भी फिर,
मन में यही विचार काम
करो ।।
-०-पता-
म न०- 10530,नज़दीक
सुभाष पहलवान अखाड़ा, काबुल
बाग, कुटानी
रोड, पानीपत-132103
ई-मेल -Khushbookumari1312014@gmail.com
विद्यार्थियों के लिए किया गया यह नूतन प्रयास सराहनीय है. खुश्बू कुमारी की कविताएँ आशान्वित करती हैं.हार्दिक बधाई !!
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी अर्थपूर्ण अभिव्यक्ति����
जवाब देंहटाएंखुशबू ����
अति सुंदरम अच्छा प्रयास है जी
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रयास
जवाब देंहटाएंखासकर ये पंक्तियाँ ।।।।।
चुनौतियों से नहीं डरो तुम,
पर्वत उच्च विशाल बनो ।
भय से काँप जाए शत्रु भी,
तुम ऐसी एक मिसाल बनो
जीत मिलेगी तुमको भी फिर,तुम खुद का विस्तार करो।बहुत ही सुंदर और प्रेरणा भरी पंक्तिया खुशबू जी।💐
जवाब देंहटाएंआप सभी ने हमारा और इस नन्हीं लेखनी का उत्साहवर्धन किया, हार्दिक आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब जी
जवाब देंहटाएंआप सभी का धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंआज मैं जो कुछ भी हूँ, अपने शिक्षकों की वजह से हूँ।
बहुत ही सार्थक प्रयास
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छा सृजन किया है बच्चों ने
तसवीर को स्थान देने के लिए आभार भैया सुंदर मनभावन पृष्ठ
जवाब देंहटाएंप्रिय खुशबू ! इसी भाव के लिखती रहो, अपने लेखन की महक बिखेरती रहो ।
हम सबका आशीर्वाद आपके साथ है ।
कमला निखुर्पा
प्राचार्या
केंद्रीय विद्यालय पिथौरागढ़
अपने नाम के अनुरूप ही लेखन जगत में अपनी रचनाओं की खुशबू बिखेरें, यही शुभकामना है इस नई कलम के लिए...। दोनों रचनाओं में भावनाओं के अलग अलग रंग अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कर रहे, बहुत बधाई...।
जवाब देंहटाएंनई प्रतिभाओं को सामने लाने का यह आपका प्रयास बहुत सराहनीय है, इसके लिए आपको भी बहुत शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंचुनौतियों से नहीं डरो तुम,
पर्वत उच्च विशाल बनो ।
भय से काँप जाए शत्रु भी,
तुम ऐसी एक मिसाल बनो
प्रिय खुशबू ने बहुत सुन्दर सृजन किया है, सदा आगे बढ़ते रहो आप..... हार्दिक शुभकामनाएँ आपको !!
सभी को नमन, हार्दिक आभार।
जवाब देंहटाएंBahut hi uttam saharniya paryas
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा प्रयास। दोनों रचनाएँ बहुत भावपूर्ण। प्रिय ख़ुशबु को बहुत बधाई, शुभकामनाएँ।
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