आजादी के अमृत महोत्सव का यह अंक अत्यंत महत्त्वपूर्ण और ऐतिहासिक महत्त्व का है।आजादी के लिए संघर्ष करने वाले कलमकारों से लेकर क्रांतिवीरों को स्मरण करने वाला यह अंक संग्रहणीय है।सम्पादक मण्डल एवं रचनाकारों को बधाई।मेरा आलेख सम्मिलित करने हेतु धन्यवाद।
बहुत ही सुंदर आवरण ओढ़े ऐतिहासिक महत्व का पठनीय, संग्रहणीय अंक। नीलाम्बरा की टीम के श्रम को नमन कि आजादी के लिए लड़ने वाले भारत माँ के लाड़ले वीरों का ओजस्वी व्यक्तित्व हमारे सामने रखा। मुझे इस अंक में स्थान देने के लिए आदरणीया अग्रजा का हार्दिक आभार।
आकर्षक कवर पृष्ठ के साथ आज़ादी के अमृत महोत्सव में तिरंगे के रंगों के समान मनभावन श्रेष्ठ रचनाओं से युक्त सहेजनीय अंक के लिए संपादक मंडल को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं,, मेरी रचनाओं को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार।---परमजीत कौर 'रीत'
' नीलाम्बरा ' ई -पत्रिका जुलाई 2022के अंक में उत्कृष्ट रचनाओं का समावेश किया गया है, चाहे वे धरोहर के रूप में महत्वपूर्ण कविताएँ हो ,चाहे नींव की ईट, लेख-आलेख, व्यंग्य, संस्मरण, यात्रा संस्मरण, डायरी, लघुकथा, कहानी, चौपाई, साॅनेट, दोहे,नवगीत सभी एक से बढ़कर एक ,डॉ कविता भट्ट 'शैलपुत्री ' जी का चयन श्रेष्ठ होने के कारण संपादन दिल को छू जाता है ।कुल मिलाकर यह अंक बेहतरीन है, आगामी अंक के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ ।
आज़ादी के अमृत महोत्सव पर बेहतरीन अंक है. गद्य और पद्य दोनों का ही उत्तम चयन और सम्पादन है. कविता भट्ट जी एवं नीलाम्बरा की पूरी टीम को बधाई. मेरे लेख को इस अंक में स्थान देने के लिए आभार.
*नीलाम्बरा' का अमृतमंथन अंक अभिनन्दन-योग्य* ************** डॉ कविता भट्ट 'शैलपुत्री' एवं डॉ रत्ना वर्मा द्वारा संपादित व रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' तथा कृष्णा वर्मा के विशिष्ट वैचारिक विमर्श व सहयोग से प्रकाशित *नीलाम्बरा* का अमृतमंथन जुलाई-2022 अंक बेहद सारगर्भित और सार्थक इसलिए लगा क्योंकि यह एक ऐसा समय है, जिसमें छद्म देशभक्ति का उन्माद पूरे विश्व के स्तर पर मानवीय मूल्यों को तहस नहस करने पर तुला है। पूरे विश्व में राष्ट्रीय गौरव का छद्म मुखौटा लगाए पूंजीवाद का पिसाच अब नए-नए तरीकों से भोली जनता को गुमराह कर उसका दोहन करने को आतुर है। उसने शोषण के नए-नए तरीके ईजाद कर लिए हैं। इस कुचक्र को विराम लगे। सर्वमंगल हो, इसके लिए ही क्रांतिवीर धरती पर जन्म लेते आ रहे हैं। अंग्रेजों के शोषणकारी साम्राज्य को मिटाने के लिए जिन आज़ादी के दीवानों ने भारतवर्ष में क्रांति की मशाल जलायी, अपने प्राणों का उत्सर्ग किया, उनकी साहसिक गाथाओं पर *नीलाम्बरा* का उक्त अंक फोकस ही नहीं डालता, सबसे बड़े अफसोस के साथ यह सवाल भी करता है कि अब क्रांतिकारियों को क्यों बिसराया जा रहा है? इस बात को अपने एक दोहे के माध्यम से यूँ रखा जा सकता है- *यूँ हम पर हाबी हुआ, इस युग पूंजीवाद* *अब अच्छे लगते नहीं, भगतसिंह, आज़ाद*। क्रांतिकारियों का पावन स्मरण कराता यह अंक क्रांतिकारी भगवानदास माहौर, बटुकेश्वर दत्त, तात्याटोपे आदि क्रांतिकारियों के अमूल्य संस्मरणों का ऐतिहासिक दस्तावेज़ है। इसके अतिरिक्त समाज के विविध ज्वलंत विषयों/समस्याओं पर भी विभिन्न आलेखों के माध्यम से पाठकमन पर गहरा प्रभाव छोड़ता है। लोकप्रिय लघुकथाओं का गढ़वाली अनुवाद इस अंक को बेहद महत्वपूर्ण बनाता है। काव्य का पक्ष भी बड़े दक्ष तरीके से संजोया गया है। अंक में मेरे बालगीतों को स्थान देने हेतु आभार। अंक की जितनी तारीफ की जाए, कम।
थोड़ी देर से आई इधर , पर अंक देखकर मन प्रसन्न हो गया | हर रचना के चयन से लेकर इस अंक को हर तरह से सम्पूर्णता देने की बात हो, अंक बहुत सुन्दर बना है | कविता जी और समस्त सम्पादकीय टीम और सारे रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई
बहुत सुंदर मुखपृष्ठ
जवाब देंहटाएंवाहह! अत्यंत सुंदर अंक 🌹 नीलाम्बरा के सभी सदस्यों को तथा रचनाकारों को असीम बधाई 🌹🙏
जवाब देंहटाएंआकर्षक आवरण !
जवाब देंहटाएंआजादी के अमृत महोत्सव का यह अंक अत्यंत महत्त्वपूर्ण और ऐतिहासिक महत्त्व का है।आजादी के लिए संघर्ष करने वाले कलमकारों से लेकर क्रांतिवीरों को स्मरण करने वाला यह अंक संग्रहणीय है।सम्पादक मण्डल एवं रचनाकारों को बधाई।मेरा आलेख सम्मिलित करने हेतु धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर आवरण ओढ़े ऐतिहासिक महत्व का पठनीय, संग्रहणीय अंक।
जवाब देंहटाएंनीलाम्बरा की टीम के श्रम को नमन कि आजादी के लिए लड़ने वाले भारत माँ के लाड़ले वीरों का ओजस्वी व्यक्तित्व हमारे सामने रखा।
मुझे इस अंक में स्थान देने के लिए आदरणीया अग्रजा का हार्दिक आभार।
सादर
वाह, सुन्दर मुखपृष्ठ व बहु आयामी, पठनीय व सराहनीय अंक नीलाम्बरा का। उत्कृष्ट रचनाओं, अभिव्यक्तियों का संकलन व सम्पादन।
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई व असीम शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ,सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई !!
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जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर अंक है। सभी रचनाकारों को बहुत बधाई। मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए संपादक मंडल का बहुत धन्यवाद🙏
जवाब देंहटाएंआकर्षक कवर पृष्ठ के साथ आज़ादी के अमृत महोत्सव में तिरंगे के रंगों के समान मनभावन श्रेष्ठ रचनाओं से युक्त सहेजनीय अंक के लिए संपादक मंडल को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं,, मेरी रचनाओं को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार।---परमजीत कौर 'रीत'
जवाब देंहटाएंबहुत आकर्षक कवर और पठनीय अंक है। मेरी रचना शामिल करने के लिए संपादक मंडल का आभार। सभी को बधाई।
जवाब देंहटाएंpm
जवाब देंहटाएंआकर्षक कवर पेज, सुंदर अंक, उत्कृष्ट रचनाओं का संकलन एवं संपादन। संग्रहणीय अंक के लिए बहुत बहुत बधाई।
उत्कृष्ट अंक। आप सभी को बहुत-बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएं' नीलाम्बरा ' ई -पत्रिका जुलाई 2022के अंक में उत्कृष्ट रचनाओं का समावेश किया गया है, चाहे वे धरोहर के रूप में महत्वपूर्ण कविताएँ हो ,चाहे नींव की ईट, लेख-आलेख, व्यंग्य, संस्मरण, यात्रा संस्मरण, डायरी, लघुकथा, कहानी, चौपाई, साॅनेट, दोहे,नवगीत सभी एक से बढ़कर एक ,डॉ कविता भट्ट 'शैलपुत्री ' जी का चयन श्रेष्ठ होने के कारण संपादन दिल को छू जाता है ।कुल मिलाकर यह अंक बेहतरीन है, आगामी अंक के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर, सराहनीय अंक। सम्पादक मंडल एवं सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंश्रेष्ठ अंक के लिए डॉ कविता सहित परामर्श मंडल एवं अन्य सहयोगियों को बहुत-बहुत बधाई !
जवाब देंहटाएंमहान स्वतंत्रता सेनानी बटुकेश्वर दत्त जो स्वाधीनता के उपरांत जिस तरह का जीवन जीना पड़ा वह भारत और हर भारतीय के लिए ग्लानि की बात है।
कालजयी रचनाकारों के साथ-साथ वर्तमान सृजकों के सृजन का समन्वय उत्तम है।
आज़ादी के अमृत महोत्सव पर बेहतरीन अंक है. गद्य और पद्य दोनों का ही उत्तम चयन और सम्पादन है. कविता भट्ट जी एवं नीलाम्बरा की पूरी टीम को बधाई. मेरे लेख को इस अंक में स्थान देने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएं*नीलाम्बरा' का अमृतमंथन अंक अभिनन्दन-योग्य*
जवाब देंहटाएं**************
डॉ कविता भट्ट 'शैलपुत्री' एवं डॉ रत्ना वर्मा द्वारा संपादित व रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' तथा कृष्णा वर्मा के विशिष्ट वैचारिक विमर्श व सहयोग से प्रकाशित *नीलाम्बरा* का अमृतमंथन जुलाई-2022 अंक बेहद सारगर्भित और सार्थक इसलिए लगा क्योंकि यह एक ऐसा समय है, जिसमें छद्म देशभक्ति का उन्माद पूरे विश्व के स्तर पर मानवीय मूल्यों को तहस नहस करने पर तुला है। पूरे विश्व में राष्ट्रीय गौरव का छद्म मुखौटा लगाए पूंजीवाद का पिसाच अब नए-नए तरीकों से भोली जनता को गुमराह कर उसका दोहन करने को आतुर है। उसने शोषण के नए-नए तरीके ईजाद कर लिए हैं।
इस कुचक्र को विराम लगे। सर्वमंगल हो, इसके लिए ही क्रांतिवीर धरती पर जन्म लेते आ रहे हैं। अंग्रेजों के शोषणकारी साम्राज्य को मिटाने के लिए जिन आज़ादी के दीवानों ने भारतवर्ष में क्रांति की मशाल जलायी, अपने प्राणों का उत्सर्ग किया, उनकी साहसिक गाथाओं पर *नीलाम्बरा* का उक्त अंक फोकस ही नहीं डालता, सबसे बड़े अफसोस के साथ यह सवाल भी करता है कि अब क्रांतिकारियों को क्यों बिसराया जा रहा है? इस बात को अपने एक दोहे के माध्यम से यूँ रखा जा सकता है-
*यूँ हम पर हाबी हुआ, इस युग पूंजीवाद*
*अब अच्छे लगते नहीं, भगतसिंह, आज़ाद*।
क्रांतिकारियों का पावन स्मरण कराता यह अंक क्रांतिकारी भगवानदास माहौर, बटुकेश्वर दत्त, तात्याटोपे आदि क्रांतिकारियों के अमूल्य संस्मरणों का ऐतिहासिक दस्तावेज़ है। इसके अतिरिक्त समाज के विविध ज्वलंत विषयों/समस्याओं पर भी विभिन्न आलेखों के माध्यम से पाठकमन पर गहरा प्रभाव छोड़ता है। लोकप्रिय लघुकथाओं का गढ़वाली अनुवाद इस अंक को बेहद महत्वपूर्ण बनाता है। काव्य का पक्ष भी बड़े दक्ष तरीके से संजोया गया है। अंक में मेरे बालगीतों को स्थान देने हेतु आभार। अंक की जितनी तारीफ की जाए, कम।
*रमेशराज
सम्पादक-तेवरीपक्ष, अलीगढ़
थोड़ी देर से आई इधर , पर अंक देखकर मन प्रसन्न हो गया | हर रचना के चयन से लेकर इस अंक को हर तरह से सम्पूर्णता देने की बात हो, अंक बहुत सुन्दर बना है | कविता जी और समस्त सम्पादकीय टीम और सारे रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई
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