शुक्रवार, 19 अप्रैल 2019

गुजर जाता है



सामने से होकर जब भी वो गुजर जाता है
तूफान सा उठता है दिल में गुजर जाता है

किस तरह आता दरिया को जोश जवानी का
सीमा तोड़ता हुआ सैलाब गुजर जाता   है

सुंदर सजे दरिया के किनारे  छोड़  चले  जाते
कालिमा छोड़ जब माहताब गुजर जाता है

उसी के नाम सजने लगती हैं महफिलें
जहां को लुटाके खुशियां जो गुजर जाता है

खास तेल, बाती, वो चराग जो जलता  रहे
जिसके सर से हो के तूफान गुजर  जाता   है

@  बाबूराम प्रधान
     नवयुग कॉलोनी, दिल्ली रोड,
     बड़ौत (बागपत) उ.प्र.  पिन- २५०६११


7 टिप्‍पणियां:

  1. गहरे भावों के साथ अनेक बिंबों को प्रदर्शित करती सुंदर रचना बधाई प्रधान जी

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  2. किस तरह आता दरिया को जोश जवानी का
    सीमा तोड़ता हुआ सैलाब गुजर जाता है
    क्या कहने बधाई आपको

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