बाबूराम प्रधान
चमन
में कली चटकी है, बहुत
शर्माती हुई
सहर
से सबा चली है खुशबू बिखराती हुई
निखर
आती है रग -रग जब आता है शबाब
चाल
भी ख़ुद ब खुद हो जाती है मदमाती हुई
मयखाने
में आया है साकी का दीवाना कोई
साकी
नाज से लेके चली प्याली छलकाती हुई
उन्होंने
दुपट्टे को बना लिया है परचम अपना
शान
से चल रही हैं खातून उसे लहराती
हुई
राह
ए मंजिल के निशां कोई मिटा नहीं सकता
यहीं से गुजरा दीवाना सबा चली गीत गाती हुई
सहर-प्रातः, शबाब-यौवन, मदमाती-मतवाली, नाज-नखरे,
परचम
- ध्वज, खातून-महिला, सबा-वायु/नाम
(संज्ञा)
बाबूराम
प्रधान,
नवयुग
कॉलोनी , दिल्ली रोड , बड़ौत, जिला - बागपत , उ. प्र.,२५०६११
,unhonne dupptte ko bna Liya he prchm apna
जवाब देंहटाएंShan se chl rhi hen khatun use lhrati hui
Vaah vaah kya bat he gjb ki pnkiti
,unhonne dupptte ko bna Liya he prchm apna
जवाब देंहटाएंShan se chl rhi hen khatun use lhrati hui
Vaah vaah kya bat he gjb ki pnkiti
धन्यवाद सुमित मलिक जी
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