बुधवार, 3 अप्रैल 2019

बुरांस



1-बुरांस  - एक प्रेरणा                           
 डॉ प्रकाश लखेड़ा

जीवन क्या है ?   
और कैसे महकता है      
पूछो इन बुरांस के फूलों से                
जो जंगल मेंरात के पाले में,                     
कड़कती ठंड में,                     
बर्फीली हवाओ में                                   
अस्तित्व बचाये हुये खिले हैं                     
पहाड़ में जीवन                                       
बुरांस की फूलो की तरह                           
खिलने और महकने में                             
रखनी होती है सहनशीलताधैर्य           
और करना होता है कठिन परिश्रम             
तब कहीं कोई खिला 
और मुस्कराता दिखाई देता  है चेहरा         
जो समाये हुये है अपने अस्तित्व में         
उन अनगिनत कठिनायो  
और  चुनौतियों को उनको
वो लोग देख नहीं सकते                                   
अपनी उन बेवसपरेशान और गुरुर.           
आँखो से क्योंकि महकता और खिला 
जीवन वही देख सकता है जो                   
कठिननाइयों में चुनौतियो को 
जानता है स्वीकारना l 

-0-
2-हे मेघों!  
डॉ प्रकाश लखेड़ा

हे मेघों! इस बार धीरे-धीरे बरसना है!

तुम इतने कमजोर,असहनशील व अधैर्य नहीं हो,  
जब तुम आसमान से गरजते और फटते होI

मानव के सतत् विकास कार्य के परिणाम से,
तुम कभी भी मत घबराना इसके अनजाम सेI

इसलिएहे मेघोंइस बार धीरे- धीरे बरसना है l

पहाड़ो के पहाड़ परकर्मठ इंसान है,
पिछले आपदा सेअभी उसको उभरना है l 

क्योंकि जीवन इसको स्वाभिमान से जीना है,
पहाड़ों से पलायन का इक तेरा गरजना है l 

इसलिएहे मेघों! इस बार धीरे-धीरे बरसना है l

पहाड़ों में मेहनत से बने है खेतनौले और जंगल,
जो पूर्ण निर्भर है मेघों के निर्मल जल पर l 

पुरुखो ने दिया है ये तोहफा कर्मठ इन्सानों को,
जंगलखेत और नौले समाप्त और सूख रहे हैं l 

इसलिएहे मेघों! इस बार धीरे - धीरे बरसना है l

हे मेघों! जब तेरे काले-काले बादलों की गरजन से,
जमीन के इन्सान को मौत का खौफ़ सताता है l 

पुरुखों की निशानीछोड़ने पर मजबूर हो जाता है,
डोलता है वह अपने घर छोड़कर, बेघर-बेसहारा I

इसलिएहे मेघों!  इस बार धीरे-धीरे बरसना है ll 



1 टिप्पणी:

  1. बुरांस के फूल किसी की मेहनत के मोहताज नहीं अपनी जिजीविषा के सहारे बचाए हुए हैं अपना जीवन पर्वतीय बाशिन्दों की तरह सुंदर रचना
    हे मेघों भी सुंदर रचना है मेघों के फटने से मची तबाही जीवन कठिनता की पराकाष्ठा पर मजबूर हो पलायन करना जीवन के लिए मेघों के माध्यम से जीवन को सरलता से जीने की प्रार्थना का सुंदर नमूना पेश किया है दोनों रचनायें सुंदर है डॉ प्रकाश लखेड़ा जी को बधाई

    जवाब देंहटाएं