सामने से होकर जब भी वो
गुजर जाता है
तूफान सा उठता है दिल में गुजर जाता है
किस तरह आता दरिया को जोश जवानी का
सीमा तोड़ता हुआ सैलाब गुजर जाता है
सुंदर सजे दरिया के किनारे छोड़
चले जाते
कालिमा छोड़ जब माहताब गुजर जाता है
उसी के नाम सजने लगती हैं महफिलें
जहां को लुटाके खुशियां जो गुजर जाता है
खास तेल, बाती, वो चराग जो जलता रहे
जिसके सर से हो के तूफान गुजर जाता है
@ बाबूराम प्रधान
नवयुग कॉलोनी, दिल्ली रोड,
बड़ौत (बागपत) उ.प्र. पिन-
२५०६११
laajawab...behtareen...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद
हटाएंगहरे भावों के साथ अनेक बिंबों को प्रदर्शित करती सुंदर रचना बधाई प्रधान जी
जवाब देंहटाएंBhut bhut dhnyvad malik ji
हटाएंकिस तरह आता दरिया को जोश जवानी का
जवाब देंहटाएंसीमा तोड़ता हुआ सैलाब गुजर जाता है
क्या कहने बधाई आपको
आभारी आपका
जवाब देंहटाएंLaajawab
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