डॉ.कविता भट्ट 'शैलपुत्री
मेरी हथेली पर तुम अधरों से प्यार लिख दो,
समस्त आकाश-गंगाओं का संसार लिख दो।
कामनाएँ मुखर- अब यों सिसकती न छोड़ो,
मधुरगीतों के गुंजन व नित प्रसार लिख दो।
प्रियतम! आँखें मूँद- बाँचूँगी उम्रभर इन्हें ही,
तुम यह ढाई अक्षर का जीवन सार लिख दो।
बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार, शैलेश जी
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