उत्तम लेख । योग को स्थूल रूप तक सीमित न करके आचरण से जोड़ना अनिवार्य है। इस प्रक्रिया को आपने सरल भाषा में अभिव्यक्त किया है। आचरण से जोड़ने को यदि प्रार्थमिकता दी जाए, तो योग बहुत सारी सामाजिक विषमताओं और विडम्बनाओ को दूर कर देगा। आपका लेख बहुत सराहनीय है।
सरल भाषा में योग जैसे दुरूह विषय को प्रस्तुत किया और जन सामान्य के लिए बोधगम्य बना दिया , यह इस लेख की सफलता है। बहुत बधाई कविता जी
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद महोदय। आत्मीयता में नैरंतर्य रहे।
जवाब देंहटाएंउत्तम लेख । योग को स्थूल रूप तक सीमित न करके आचरण से जोड़ना अनिवार्य है। इस प्रक्रिया को आपने सरल भाषा में अभिव्यक्त किया है। आचरण से जोड़ने को यदि प्रार्थमिकता दी जाए, तो योग बहुत सारी सामाजिक विषमताओं और विडम्बनाओ को दूर कर देगा। आपका लेख बहुत सराहनीय है।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपके अंतस्थ में विराजमान संचेतन पाठक एवम समीक्षक को नमन।
जवाब देंहटाएं