सोमवार, 17 सितंबर 2018

74-चर्चा में घुँघरी


 8 सितम्बर 2018 को  1:30- 4:30 अपराहन में हिन्दी प्रचारिणी सभा  और हिन्दी चेतना की और से एक
 संगोष्ठी  का आयोजन मार्खम नगर की  मिलिक्न्स मिल्स लाइब्रेरी में  किया गया । इस अवसर पर मार्खम क्षेत्र
के सांसद  श्री बॉब सरोया जी द्वारा चार पुस्तकों और दो पत्रिकाओं के विशेषांकों का विमोचन भी किया गया । ये पुस्तकें थीं-लघुकथा का वर्त्तमान परिदृश्य (हिमांशु ),जरा रोशनी मैं लाऊँ ( डॉ.भावना कुँअर ) ,
घुँघरी (डॉ. कविता भट्ट ), तुम सर्दी की धूप ( हिमांशु ), और पत्रिकाएँ - हिन्दी चेतना ( यशपाल विशेषांक मुख्य सम्पादक

श्याम त्रिपाठी  और सहयोगी सम्पादक-डॉ.भावना कुँअर ,डॉ.ज्योत्स्ना  शर्मा व डॉ.कविता भट्ट   ) , सरस्वती सुमन -क्षणिका विशेषांक ( मुख्य सम्पादक डॉ. आनन्दसुमन सिंह , अतिथि सम्पादक हरकीरत हीर व हिमांशु )।
चारों पुस्तकों को सभा ने भवन में  पोस्टर के रूप  में प्रदर्शित भी किया था । इस   कार्यक्रम  के आयोजन पर
 ओंटेरियो  प्रांत के प्रमुख मंत्री ( मुख्य मंत्री ) आदरणीय डग फोर्ड  और वयोवृद्ध  राजनेता  आदरणीय रेमण्ड चो के शुभकामना संदेश भी पढ़े गए ।

             सर्व प्रथम श्री  श्याम त्रिपाठी जी ने   चारों पुस्तकों  पर अपने विचार प्रस्तुत किए । तत्पश्चात् कृष्णा वर्मा 
जी ने चारों पुस्तकों पर अपनी गंभीर  विवेचना  प्रस्तुत की , जिसे यथाशीघ्र  यहाँ  दिया जाएगा । इसके बाद  हाइकु पर विशेष चर्चा के अंतर्गत  मैंने   विविध पक्षों पर विस्तार से बताया गया । अंतःप्रकृति हो या बाह्य प्रकृति ,उसे हाइकु में बाँधना श्रमसाध्य नहींबल्कि भावसाध्य है। सूक्ष्म अति सूक्ष्म भाव को यदि  तदनुरूप भाषा में बाँधना है , तो यह तभी सम्भव है   ,जब हाइकुकार के पास  रचनात्मक तन्मयता हो   विषय को सरल और व्यावहारिक बनाने के लिए कुछ उदाहरण भी दी गए । सम्मान  और काव्य-पाठ  के साथ  कार्यक्रम सम्पन्न  हुआ ।
1-डॉ.सुधा गुप्ता –
 1-काठ के घोड़े, / चलता तन कर /माटी-सवार ।-
2- चाँदी की नाव / सोने के डाँड लगे / रेत में धँसी ।-3- चिनार पत्ते / कहाँ पाई ये आग/ बता तो भला।-  4-दु:ख ने माँजा / आँसुओं ने धो डाला  / मन उजला।-5-काजल आँज / नभ-शिशु की आँखों /हँसी बीजुरी
-०-
-2-रामेश्वर काम्बोज –
1-सिन्धु हो तुम / मैं तेरी ही तरंग, / जाऊँगी कहाँ ?-2- लिपटी लता / लाख आएँ आँधियाँ /तरु के संग।    3--घना अँधेरा / सिर्फ़ एक रौशनी / नाम तुम्हारा।
3- डॉ.कुँवर दिनेश
1-नदी में बाढ़ / नेता-अधिकारी की /मैत्री प्रगाढ़। 2-प्रात: मंदिर / तनाव दिन भर/सायं मन्दिर ।
4-डॉ.भावना कुँअर
1- फूल -गगरी /टूटकर बिखरी /गन्ध छितरी। 2-घाटियाँ बोलीं-/वादियों में किसने /मिसरी घोली?
3-चिड़िया रानी / खोज़ती फिरती है /दो बूँद पानी।
5-डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा
1-काटें न वृक्ष / व्याकुल नदी-नद / धरा कम्पिता । 2-पीर नदी की- / कैसे प्यास बुझाऊँ   /तप्त सदी की  !
6-डॉ.कविता भट्ट
1-किसको कोसें ?/हर शिला के नीचे / भुजंग बसे ।-2-डाकिया आँखें / मन के खत भेजें / प्रिय न पढ़े।
4-मैं ही बाँचूँगी / पीर-अक्षर पिय, /  जो तेरे हिय।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें