डॉ.कविता भट्ट 'शैलपुत्री'
(विश्व पुस्तक-दिवस पर )
मात्र एक देह नहीं,
अनंत ब्रह्मांडीय ऊर्जा युक्त
प्राण है - पुस्तक।
ब्रह्म, चेतना
अथवा
अनंत ब्रह्मांडीय ऊर्जा युक्त
प्राण है - पुस्तक।
ब्रह्म, चेतना
अथवा
आत्मा है - पुस्तक
जो अभिव्यक्त करती है
शब्द- सृष्टि
के द्वारा
ब्रह्म के विराट स्वरूप को।
देह में अंतर्निहित होते हैं -
पंच महाभूत -
अग्नि, जल,
पृथ्वी, आकाश और वायु
किंतु सोचो, यदि ना
हो
पंच तन्मात्र - रूप, रस, गंध, शब्द और
स्पर्श
तो महाभूत का क्या अस्तित्व?
पुस्तक में उल्लिखित अक्षर
और अक्षरों से निर्मित शब्द
ब्रह्म अर्थात् परम चेतना हैं।
प्राणवान - आत्म प्रतिष्ठित पुस्तक
ब्रह्म और सृष्टि - दोनों ही है।
व्यक्ति पर निर्भर है कि
वह इसे देह मानता है
अथवा चेतना - ब्रह्म - आत्मा
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बहुत सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई आदरणीया दीदी को🌷💐
सादर
पुस्तक का उत्कृष्ट मानवीयकरण
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर पुस्तक का बेहतरीन मानवीयकरण वाह
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीया पुस्तक दिवस पर सुन्दर पुस्तकीय सृजन हेतु
अति सुंदर सृजन...हार्दिक बधाई आपको।
जवाब देंहटाएंअति सुंदर वर्णन कविता Mam 🌹🙏🌹
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