अब तुम करो प्रहार !
डॉ.कविता भट्ट 'शैलपुत्री'
तिरंगे में लिपट आए अब तक शहीद हज़ार ।
डल झील सिसकती रही, करती रही विलाप ॥
जागो भरतवंशियों अब तुम करो प्रहार ।
गले मिला था जिस गली में मुझसे मेरा प्यार
दामन में उसने ही भरी थी मेरे बहार ।
उसी गली में आज मैं करती हूँ यह प्रलाप ॥
जागो भरतवंशियों अब तुम करो प्रहार ।
बाबू जी उठो, तो
सुनो तुम बेटे की पुकार ।
माँ पूत तेरा करेगा फिर शत्रु का संहार
अजर-अमर-अभय है माँ तेरा यह लाल
हर जनम में करेगा माँ भारती से यह प्यार ॥
-0-
बहुत सुंदर आह्वान करती रचना
जवाब देंहटाएं