जीवन भी कविता ही है
किसी भी कविता में
दो पक्ष होते हैं-
कलापक्ष तथा भावपक्ष;
कलापक्ष का निर्वाह होता है-
व्याकरण और गणित द्वारा
जो होता है- नितान्त
यांत्रिक।
भावपक्ष असीम है
यह मन को प्रतिबिम्बित करता
है
मन- ब्रह्माण्ड की प्रतिच्छाया है।
संवेदनाओं व उनकी अभिव्यक्ति
की अनन्त आकाशगंगाएँ
प्रकाशमान हैं इसमें
कलापक्ष का निर्वाह
करते-करते
यदि भावपक्ष को भुला दिया
जाए
तो यह कविता की मृत्यु ही
है।
जीवन भी कविता ही है,
जिसमें भाव और कला
दोनों पक्षों का निर्वाह
नितांत आवश्यक है।
दुःखद किन्तु सत्य है;
अपने-अपने स्वार्थपूर्ति के
गणित और व्याकरण
द्वारा सम्बन्धों में
हम प्रायः कलापक्ष का
निर्वाह
करते हैं- बड़ी सुंदरता से;
किन्तु भावपक्ष
नितान्त अनाथ होकर
दर-दर भटकता है।
अपना अस्तित्व बनाए रखने के
लिए
भिक्षुक की भाँति
दुत्कारा जाता है बार-बार
कभी गालियों से
कभी मारपीट से
कभी शोषण से
सिद्ध करना चाहता है
अपना महत्त्व-
जीवन रूपी कविता में;
किन्तु जब हार जाता है
तो थककर किसी कीचड़ वाली
नाली के किनारे
कूड़े में फेंके गए
भात को उठाकर खा लेता है।
उस समय उसे लज्जा नहीं आती;
क्योंकि कुछ भी करके
अस्तित्व जो बचाना चाहता है।
इसी भात को खाकर सो जाता है
सर्दी की लम्बी रात में
बिना कम्बल, बिना अलाव;
ठिठुरता हुआ रात बिताता है
कभी सड़क तो कभी
सड़क किनारे की बेंच पर
पुलिसवाला उस भावपक्ष को
उठाकर हाँकता है डण्डे से
न जाने कहाँ-कहाँ से चले आते
हैं
भिखारी कहीं के।
चलो उठो दफ़ा हो जाओ।
भाव चुपचाप वहाँ से उठकर
चल देता है- अनजाने रास्ते
पर।
हम सभी की जीवन-कविता
भटका हुआ भावपक्ष ही है।
हर रात सिकुड़कर बिता रहा
कभी नाली के किनारे
कभी किसी सड़कवाली बेंच पर
ठिठुरते हुए;
आश्चर्य है कि
कोई साथी सुध नहीं लेता
हर रात हम सभी सोचते हैं
कि आज की रात भाव
मर ही जाएगा;
किन्तु सच यह है कि
भाव की जिजीविषा व संघर्ष
अनन्त है; इसलिए वह मरता नहीं।
जीवन कविता में
अनन्त वर्षों से सहेजे गए
कलापक्ष के सम्मुख-
इतनी उपेक्षा के उपरांत भी
जीवित रहकर अपने
अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है
और देर से ही सही
थक-हारकर; जीवन कविता का
प्रत्येक रचनाकार
आता है- इसी की शरण में।
फिर भी भावपक्ष को
अपने होने का
कोई घमण्ड नहीं।
-0-
अभी जीवित है कुछ मात्रा में भाव पक्ष...तभी कलम चल रही है, दुनिया चल रही है, वरना तो पत्थरों के इस जहाँ में कौन किसको पूछता है!
जवाब देंहटाएंकविता जी, बहुत सुंदर कविता! हार्दिक बधाई!
~सादर
अनिता ललित
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जवाब देंहटाएंसुंदर भाव संजोये कविता।
जवाब देंहटाएंकभी-कभी निःशब्द होना ही सच्ची प्रतिक्रिया होती है, इस समय मैं भी निःशब्द हूँ।
जवाब देंहटाएंकविता तुम सचमुच कविता की परिभाषा हो | जिन तत्वों को लेकर आपने इस रचना में अपने भाव पक्ष और कला पक्ष के बीच एक द्वंद को बहुत सुन्दरता से निभाया है | दोनों तत्वों के साथ जो अपने विचार दिए हैं अत्यंत मर्मभेदी और हृदय स्पर्शी है | वियोगी होगा पहला कवि आह से उपजा होगा गान | पन्त की तरह आपने ह्रदय की कोमल भावनाओं को बड़ी सुन्दरता से व्यक्त क्या | मेरी शुभकामनाएं आपकी कलम को जो इतने सुंदर भाव प्रकट करती है | युग -युग जियो |श्याम त्रिपाठी हिन्दी चेतना
जवाब देंहटाएंआपने बहुत गहराई से दोनो पक्षों को उकेरा है आपके बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंभावपक्ष एवं कलापक्ष का संयोजन ही जीवन की गति है....सुन्दर लिखा| बधाई आपको !
जवाब देंहटाएंभाव है तो ही कला भी है और जीवन भी...बहुत सुंदर लिखा है आपने...। मेरी ढेरों बधाई
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 07 फरवरी 2021 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंहृदय की गहराई में उतरती एक बेहद ख़ूबसूरत कविता!
जवाब देंहटाएंहृदय की गहराई से ही बधाई स्वीकार कीजिए कविता जी ।
जीवन भी कविता है। कला पक्ष तो निभा रहे हैं, लेकिन भाव पक्ष विलुप्त हो रहा है जिसके बिना जीवन अपूर्ण है। पूर्णता के लिए दोनों पक्षों का होना आवश्यक है। सुंदर और गहन भाव संजोय ,मन को छू जाने वाली कविता। बधाई आपको।
जवाब देंहटाएंबेहद गहनतम अभिव्यक्ति, जीवन में भाव और कला दोनों का होना न होना बहुत ही सुंदरता से व्यक्त किया है आपने .... उत्कृष्ट लेखन के लिए बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंनिशब्द
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसमुद्र सी गहराई लिये भाव। जीवन कविता सदृश। भाव कहीं बेभाव ही पड़े रहते हैं, मशीनी जिंदगी जी रहे होते हैं हम। गहन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसमुद्र सी गहराई लिये भाव। जीवन कविता सदृश। भाव कहीं बेभाव ही पड़े रहते हैं, मशीनी जिंदगी जी रहे होते हैं हम। गहन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंन चाहते हुए भी मन को जो अच्छा लगता है उसके अनुसार न चल, वो सब करना जो अच्छा नहीं लग रहा है भी एक प्रकार का भाव ही जो हमे दुनिया के सामने अच्छा प्रस्तुत होने की चाह देता है।
जवाब देंहटाएंसामान्य मनुष्य के जीवन की उलझनों को व्यक्त करती अच्छी रचना।
अत्यंत सुंदर एवं भावपूर्ण
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाइयाँ
भाव और कलापक्ष के बिना तो जीवन की कल्पना ही संभव नहीं। बेहतरीन अभिव्यक्ति बहुत मर्मस्पर्शी रचना। हार्दिक बधाई आपको।
जवाब देंहटाएंगहन अभिव्यक्ति , उत्कृष्ट भाव
जवाब देंहटाएंआपके अंदर की उत्तम भाव की नदी ही है यह सृजन
हार्दिक बधाई💐
गहन भावाभिव्यक्ति ।बहुत बहुत बधाई कविता जी।
जवाब देंहटाएंक्या बात है कितने सुंदर शब्दों में अपने भाव पक्ष की बेकद्री को प्रस्तुत किया है साधुवाद आपको
जवाब देंहटाएंक्या बात है कितने सुंदर शब्दों में अपने भाव पक्ष की बेकद्री को प्रस्तुत किया है साधुवाद आपको
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