1
2
जग -जंजाल
झूठा यह मधुदेश
तुम विशेष।
3
तोड़ो बन्धन
करो तो आरोहण
जग-क्रन्दन।
4
अडिग रह बने
शैल -शिखर।
5
तू हिमधर
पवन झकोरों में
खड़ा निडर।
मर्मस्पर्शी ! मुक्तछंद , गांभीर्य पूर्ण । रचना तथा कविता जी को साग्रह शुभेच्छा प्रेषित।
मिश्रा जी हार्दिक आभार
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 09 नवंबर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
दिव्या जी हार्दिक आभार
वाह।बहुत सुंदर।
शिवम जी हार्दिक आभार
एक से बढ़कर एक हाइकु बहुत सुंदर हार्दिक बधाइयाँ
हार्दिक आभार डॉ पूर्वा जी
बहुत ही सुंदर हाइकू
हार्दिक आभार बाबूराम जी
बहुत-बहुत सुन्दर सभी हाइकु ।बधाई कविता जी।
सुंदर प्रस्तुति
वाह! मधुरम, सुंदरम!!!! हाइकू 👌👌👌👌
बहुत सुंदर हाइकु हैं बधाई पुष्पा मेहरा
मर्मस्पर्शी ! मुक्तछंद , गांभीर्य पूर्ण । रचना तथा कविता जी को साग्रह शुभेच्छा प्रेषित।
जवाब देंहटाएंमिश्रा जी हार्दिक आभार
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 09 नवंबर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंदिव्या जी हार्दिक आभार
हटाएंवाह।बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंशिवम जी हार्दिक आभार
हटाएंएक से बढ़कर एक हाइकु
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
हार्दिक बधाइयाँ
हार्दिक आभार डॉ पूर्वा जी
हटाएंबहुत ही सुंदर हाइकू
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार बाबूराम जी
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत सुन्दर सभी हाइकु ।बधाई कविता जी।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह! मधुरम, सुंदरम!!!! हाइकू 👌👌👌👌
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर हाइकु हैं बधाई
जवाब देंहटाएंपुष्पा मेहरा