बेलीराम कनस्वाल
(भेट्टी,
ग्यारह गौं,टिहरी गढ़वाल)
हे नगाधिराज तू,
भारत की ढाल च।
आसरु च तेरु ही,
तू ही रक्षपाल च।।
गंगा जमुना जी कु मैती,
बद्रीनाथ धाम च।
केदारनाथ तेरा सिर्वाणा,
तू पर्वतों की शान च।।
अडिग छै तु उत्तर मा,
रुप बड़ू बिराट च ।
हे गिरी श्रेष्ठ हिमालै,
तु भारतै की आस च।।
ऋषि मुन्यों की तपस्थली,
शिवजी को निवास च।
लक्ष्य कोटि देवतों को,
तेरे सांका वास च।।
मुंड मा जनु देश कू तु,
मुकुट का समान च।
हे नगाधिराज त्वैक,
शत शत प्रणाम च।।
लखि पखि बौण त्यारा,
मीठी भौंण म्योळि की।
बुरांसि का फूल स्वाणा,
चैत खुशबू फ्योंळी की।।
गाड गदन्यूं मा पाणि,
अमृत समान च।
हरीं भरीं धरती त्वैसि,
तु हमुक तैं वरदान च।
हे नगाधि राज त्वैक,
शत-शत प्रणाम च।।२।।
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" कल शनिवार 11 सितम्बर 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में " पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
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