निर्मला भट्ट ( रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड)
हे मातृ शक्ति ! नमन तुझे,
तू धन्य है जगत प्रिये !
सर्वस्व जग पूजे तुझे, तू विश्व को रोशन किए।
चरणों मे रखकर सिर तेरे,
नित करते रहे वंदन तेरा।
हे मातृ शक्ति ! नमन तुझे,
तू धन्य है जगत प्रिये !
माँ तूने हमे जीवन दिया, स्नेह से पोषित किया।
आँचल की ठंडी छांव देकर, तूने हमे तोषित किया।
तेरी परछाई मात्र से,
संकट जगत के सब टले।
हे मातृ शक्ति ! नमन तुझे, तू धन्य है जगत प्रिये !
तू आदि शक्ति अनंत है,
अखिल विश्व को जगमग किए।
तू स्वच्छ सरितामयी अमृत,
धार बनकरके बहे।
तू दिव्य पुष्पितपुंज है,
इस सृष्टि को सिंचित किए।
हे मातृ शक्ति ! नमन तुझे,
तू धन्य है जगत प्रिये !
तू घोर संकट काल में,
मानो कवच बनकर रहे।
काल के महाकाल से तू,
ढाल बनकरके लड़े।
तेरी अगम्य शक्ति से,
महाकाल भी डरकर गिरे।
हे मातृ शक्ति ! नमन तुझे,
तू धन्य है जगत प्रिये !
हम शब्द हैं ,
तू अर्थ है, तेरे बिना सब व्यर्थ है।
तू है तो जीवन समर्थ है,
तेरे बिना सब असमर्थ है
कैसे भुला दें उपकार तेरा,
हे मेरी करुणानिधे !
सर्वस्व जग पूजे तुझे,
तू विश्व को रोशन किए।
हे मातृ शक्ति ! नमन तुझे,तू धन्य है जगत प्रिये !
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जिस निर्मल हृदय से आपने मातृभूमि को संबोधित किया है आपके हृदय की धडकनें छलकती हैं | हर शब्द एक कहानी है |हर भाव एक निशानी है | बहुत ही सारगर्भित हृदय स्पर्शी रचना है | आपको विशेष बधाई | श्याम हिन्दी चेतना
जवाब देंहटाएंहे मातृशक्ति!नमनं तुभ्यं,त्वं धन्यासि जगत्प्रिये!🌹
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना।बधाई निर्मला जी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
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जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर व भावपूर्ण रचना । हार्दिक बधाई निर्मला जी।
एक अच्छी रचना के लिए बहुत बधाई निर्मला जी को
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