रविवार, 10 मार्च 2019

इश्क़


इश्क़ कितना कमाल करता है,
पल पल को हलाल करता है,
उठें नजरें तो उठी रह जाये,
ये कैसा जादू ज़माल करता है,
अर्श से हूर उतर आये ज़मी पे ,
दिल बार बार सवाल करता है,
चांदनी रात को दो दो माहताब ,
स्याह-ए-शब बड़ा मलाल करता है,
जब उनके लिए दिल में जा नहीं,
फिर क्यों दर पे बवाल करता है।
अर्श- आसमान, स्याह-ए-शब - अँधेरी रात  जा- जग़ह
@बाबूराम प्रधान
नवयुग कॉलोनी ,
दिल्ली रोड़ , बड़ौत (बागपत)
पिन - 250611

9 टिप्‍पणियां:

  1. जो व्यक्ति जिसके अन्नंट प्यार में डूबा रहता है वो अपने एक एक पल को उसी के प्यार में समर्पित कर देता है
    प्रेम बुद्धि का विषय नहीं हरदय का विषय है वहीं से स्क्चे प्यार का आगाज होता है वह प्यार किसी का भी किसी के प्रति हो सकता है रचनाकार ने उसी सच्चे प्यार की भवाभिव्यक्ती को उजागर किया है रचनाकार सौंदर्य के प्रति आकर्षण की उस सीमा तक पहुंच जाता महसूस होता है कि जहां सौंदर्य दृष्टा की दृष्टि भी उसके वश से बाहर होकर दृष्टि की स्वाभाविक प्रकृति को भी विस्मृत सी करती महसूस होती है
    रचनाकार ने लगता है कोई अद्भुत सौंदर्य दर्शन के पश्चात सोचा हो कि ये इन्द्र देश की अप्सरा केसे प्रथ्वी लोक पर उतर आई रचनाकार स्वयं से ही ये सवाल करता है
    रचनाकार लगता है कहीं अपने आपको अंधकार रूपी अकेलेपन से कोसता हुआ विमुखता भाव प्रकट करता है कम शब्दों में रचनाकार अपने भावों को व्यक्त करने में सफल रहा है रचना के लिए में प्रधान जी को बधाई देता हूं

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  2. सुंदर टिप्पणी के लिए हार्दिक साधुवाद

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  3. प्रधान जी जो आपने रचना दी है उसी की व्याख्या अपनी
    मैं अल्पबुद्धी से कर सका सुंदर रचना के लिए पुन बधाई
    अमित मलिक शामली

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  4. इश्क़ कितना कमाल करता है,
    पल पल को हलाल करता है,

    इश्क एक जूनून है, किसी भी कार्य ,परमेश्वर अथवा व्यक्ति से हो जाये पल पल को हलाल करता है जब तक की मंजिल नहीं मिल जाती

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    1. बहुत सुंदर गहरी समझ और सुंदर टिप्पणी के लिए साधुवाद

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  5. बेहद सुंदर रचना जिसे की की बार पधके भी मन नहीं भरा रचना के अंदर समाया भाव हलके फुल्के शब्दों में गा में सागर भर गया। बार बार नमन

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