राजीव रत्न पाराशर, कैलिफोर्निया
इसने
मारा, उसने मारा
बोलो रावण किसने मारा?
हाथ खींचकर तीर चलाया,
या वो भाई जिसने अमृत
नाभि
में है यह बतलाया॥
उन देवों ने जिन्हें हराकर
उनसे
पानी भरवाया था.
या फिर उसकी नियति जिसने
उसको राक्षस बनवाया था॥
शाप लगा क्या उस कुबेर की
बेटी
का जो रोज़ तड़पती,
या फिर हाय लगी जनता की
हाय- हाय जो रोज़ तरसती॥
सीता मैया की पावनता
उसकी नैया ले कर डूबी,
शूर्पनखा –“ये मेरा बदला
ले लो भैया” कहकर डूबी॥
बन्दर
भालू की हुंकारों
के डर ने दहला कर मारा,
दस दिमाग़ ने दस सुझाव दे
संशय में ला लाकर मारा॥
किसने पकड़ा किसने छोड़ा
ये तो मुझको पता नहीं है,
लेकिन सच्ची बात बताऊँ
रावण अब तक मरा नहीं है॥
दिखता गांधी टोपी में वो
कभी सूट और टाई में भी,
सास बहू में, दोस्त- दोस्त में
अक्सर
भाई भाई में भी॥
लोभ मोह हो,द्वेष द्रोह हो
रावण वहीं पसर जाता है,
जहां किया कुछ ग़ुस्सा समझो
रावण वहीं बिफर जाता है॥
जहाँ फटे
बम, जहाँ घुटे दम
सदमे में हों या हो सहमे,
दो
रत्ती, दो बित्ते रावण
छुपा हुआ है तुझमें- मुझमें॥
हिम्मत कर, कुछ आगे बढ़ हम
मारें
अपना अपना रावण,
मन का वाल्मीकि लिख देगा
फिर से जीवन की रामायण॥
--0-–
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें