हाइकु -जगत् की एक और उपलब्धि , जिसके ऊपर हम सब गर्व कर सकते हैंं। कत्थक नृत्यांगना उर्वि सुकि ने नदी विषय पर कत्थक करने के लिए जब प्रयोग करना चाहा तो उन्हें हाइकु पसन्द आए। नेट से हाइकु मिले तो मेरे । नदी के उन्हीं हाइकु पर हरिप्रसाद चौरसिया के बाँसुरीवादन के ट्रेक का अनुपालन करते हुए नृत्य किया। इस प्रसंग ने यह भी सिद्ध कर दिया कि हाइकु-रचना एक साधना है, कोई खेल नहीं।
वाह ! बहुत शानदार प्रयोग...। उर्वि जी और कविता जी, दोनो को बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुख मिला यह जानकर,उर्वि जी और प्रिय कविता जीको हार्दिक बहुत बधाई!
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