डॉ.कविता भट्ट
अपनी गर्म उँगलियों से
तुम्हारी सर्द हथेली पर
चिरयौवना आस से
नवजीवन का प्यार लिखूँगी ।
तुम्हारी कठिन पहेली पर
अनुभूति विश्वास से
गुँथा सर्वाधिकार लिखूँगी ।
प्रेम से सनी कलियों में
खाली दीवार अकेली पर
दिग्दर्शन उजास से
प्रेमांकन हर-बार लिखूँगी ।
बेघर हूँ माना, गलियों में
लेकिन खुशियों की ठेली पर
नव कालखंड प्रवास से
रंगायन संचार
लिखूँगी ।
हो ,न हो अपना, छलियों में
लेकिन गुड़ की भेली पर
रचनात्मक उपवास से
अपनापन आभार
लिखूँगी । (चित्र ; गूगल से साभार)
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार, महोदया।
हटाएंकविता जी आपकी प्रत्येक रचना की तरह यह रचना भी बहुत ही सुंदर एवं हृदयस्पर्शी... ����
जवाब देंहटाएंहार्दिक अभिनंदन
हार्दिक धन्यवाद डॉ पूर्वा जी, आपका प्रेम मेरी शक्ति।
हटाएंसात्विक प्रेम की सघन अनुभूतियों की सुंदर एवम मर्मस्पर्शी रचना हेतु बधाई
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार महोदय, स्नेह बनाये रखिएगा, आपका यही स्नेह ऊर्जा प्रदान करता है।
हटाएंबहुत सुन्दर👌👌 । बधाई कविता ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना कविता जी !
जवाब देंहटाएंसुंदर सशक्त रचना अपने दृढ़ विश्वास को व्यक्त करती हुई
जवाब देंहटाएंहृदय स्पर्शी भाव सुंदर सशक्त रचना
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