गुरुवार, 15 फ़रवरी 2018

दो मुक्तक

दो मुक्तक
  1-डॉ. कविता भट्ट
रेत को मुट्ठी में भर करके  हम  फिसलने नहीं देते ।
वक्त कितना भी हो मुश्किल ,खुद को बदलने नहीं देते॥
 डराएँगे क्या अँधेरे  अपनी बुरी निगाहों से हमें ।
फ़ख्र  तारों पर  है जो उजालों को ढलने नहीं देते ॥
*                       
2-रामेश्वर काम्बोज हिमांशु
डर था ज़िन्दगी न जाने किधर जाएगी ।
गूगल से साभार
रेत बनकर ये  किसी दिन बिखर जाएगी ॥
तुम जो अचानक मिले  आज हमें मोड़ पर ।
अब   हमको लगा  कि क़िस्मत सँवर जाएगी॥

15 टिप्‍पणियां:

  1. दोनों ही मुक्तक अति सुंदर। भाव पूर्ण एवं शब्द संयोजन भी उत्तम। हार्दिक बधाई।

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  2. सुन्दर , सकारात्मक भाव भरे मुक्तक बहुत अच्छे लगे |
    दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई !!

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  3. कविता जी
    नमस्कार।
    आपका मुक्तक श्रीमती काम्बोज को बहुत पसंद आया।

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  4. हार्दिक आभार आप सभी का।
    आदरणीया श्रीमती को भी प्रणाम एवं धन्यवाद।

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  5. कमला जी, भैया आप दोनों के मुक्तक बहुत सुंदर हैं । बधाई

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  6. आप दोनों को सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई ।

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  7. अति सुंदर सृजन।
    आप दोनों को हार्दिक बधाई।

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  8. आ. भैया जी और आ. कविता जी आप दोनों के भावपूर्ण और उम्दा मुक्तक के लिए हार्दिक बधाई

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  9. कमला जी हिमांशु भैया जी बहुत सुन्दर मुक्तक । बधाई स्वीकारें ।

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  10. सुन्दर और भावपूर्ण मुक्तक के लिए आप दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई !

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  11. बहुत सुंदर एवं भावपूर्ण मुक्तक! आप दोनों को हार्दिक बधाई!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  12. सुंदर प्रयोग एक विषय पर गुणात्मक मुक्तक हेतु कविता बहिन जी और आदरणीय कंबोज सर जी आप दोनों को हार्दिक बधाई ।

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  13. हार्दिक आभार आप सभी प्रबुद्ध जनों का। कृपया भविष्य में भी स्नेह बनाये रखिएगा।

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  14. दोनों मुक्तक बहुत लाजवाब...| हार्दिक बधाई...|

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