बुधवार, 3 अप्रैल 2019

थोड़ी सी पी



थोड़ी सी पीज़माने को शिकायत हो गई 
ज्योति नामदेव

नजरें करम कुछ ऐसी इनायत हो गई 
थोड़ी सी पीज़माने को शिकायत हो गई 

रहा ना कुछ होशअपने से ही बगावत हो गई 
थोड़ी सी पीज़माने को शिकायत हो गई 

घने जुल्फों के साये में चाहा था अपना आशियाना 
ओ ज़ालिम !तुझे उससे ही शिकायत हो गई 

कुछ तो करम करमेरे रह गुजर 
दिल ही नहींसारी उम्र तेरी मिलकियत हो गई 

खिले फूल से हैलब तेरे कातिल 
छपती मुहर सी दिल पर तेरी मुस्कुराहट हो गई 

हाँ मैं महकी हूँचहकी हूँ तेरे प्यार में 

थोड़ी सी पीज़माने को शिकायत हो गई 

2 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर रचना ज्योति नामदेव जी की अंदर की एक छटपटाहट है किसी शोषण के प्रति और फिर प्यार के नशे में भी सराबोर होती हुई डुबकी लगाती रचना

    जवाब देंहटाएं