मंगलवार, 29 मार्च 2022

339-प्रसिद्धसाहित्यिकविदुषी डा.कविताभट्टशैलपुत्री सम्मानिता अभवत्

 पोर्ट्ल देखने के लिए नीचे दिए गए-डॉ. कविता भट्ट 'शैलपुत्री' सम्मानित लिन्क को भी क्लिक कर सकते हैं

डॉ. कविता भट्ट 'शैलपुत्री' सम्मानित



संस्कृत समाचार:- कण्नगरीकोटद्वार-उत्तराखण्ड । साहित्यसृजनकार्ये व्याख्याने मार्गदर्शने च सर्वोत्कृष्टप्रदर्शनाय “अखिलभारतीय-उत्तराखण्डमहासभा”भारतद्वारा प्रसिद्धसाहित्यिकविदुषी डा.कविताभट्टशैलपुत्री सम्मानिता अभवत् ।कण्वनगर्या: समीपस्थमोटाढाकस्थले बिजनौरजनपदे उत्तरप्रदेशे भव्यसम्मानसमारोह: समायोजित: जात: । महानस्वतंत्रतासंग्रामसेनानी-दयालसिंह- असवालस्य 2022 स्मृतिसम्माने अयं कार्यक्रम: प्रारम्भ: अभवत् । डा.शैलपुत्री बहुत्र बहुसंस्थाभि: साहित्यिकयोगदाने सम्मानिता अस्ति च सा बहूनां संस्थानां मार्गदर्शकरूपेण उत्तरदायित्वम् अपि निर्वहति । वर्तमानसमये हेमवतीनन्दनकेन्द्रीयगढवाल-विश्वविद्यालये प्रशासनिके फैकल्टी डेवलपमेन्ट सेन्टर इत्यत्र विशिष्ट-उत्तरदायित्वे विद्यते ।

सामाजिकसमर्पणाय संयोजनाय महोदयया
श्रद्धेयगुरुदेवश्रीजनार्दनबुड़ाकोटीवर्यस्य कृते च आदरणीय-श्रीमनमोहनदुधपुड़ीवर्यस्य कृते भावाञ्जलिना साधुवाद: प्रकटित:। सहैव जिलाधिकारीवर्यस्य उपजिलाधिकारी- महोदयस्य बिजनौरस्य अपि हार्दिक-आभारं ज्ञापितं । अथ च तया प्रोक्तं यत् शतसंख्याषु उपस्थिता: कोटद्वारपौड़ीगढ़वालस्य च बिजनौरक्षेत्रस्य संभ्रांतनागरिकान् (मातृ-पितृ शक्तिं) प्रति कार्तज्ञभावमर्पयामि यै: वृहदायोजने असीमिता-आत्मीयता प्रदत्ता च मया सहैव विविधक्षेत्रेषु विशिष्टयोगदानं प्रदत्तं । सर्वे सम्मानितात्मीया: भगिनी-बान्धवा: धन्यवादर्हा: सन्ति ।

अवसरेस्मिन् मातृभि: भगिनीभिश्च उत्तराखंडसहितं भारतीय संस्कृतिं च समाजाधारितं उत्कृष्ट-शैक्षिकं सांस्कृतिक-कार्यक्रमं च सम्माने प्रस्तुतीकृतं । तेषाम्मंगलभावनामपि शैलपुत्रीद्वारा अभिनन्दनेन व्याहृतं ।

गुरुवार, 10 मार्च 2022

336- दो कविताएँ

 मीनू जोशी  (अल्मोड़ाउत्तराखण्ड)

1-सुनो ! कविता कुछ कहती है.....

  


सुनो कविता कुछ कहती है
,

कहती है,

संवेदनहीन अलगाव के बीच,

झूलतीसिसकती आहें।

भावनाओं का उफ़ान रोकती,

हृदय बेधित कराहें।

आपसी मनभेदों के बीच,

अपने वज़ूद को तलाशती,

बहुत दूर निकल आई हूं....

मैं बौद्धिक विलास में नहीं

हृदय की तरलता में हूं।

गौर से सुनो,

शायद यही कहती है।

 

कहती है,

यहां अंतर्द्वंद्व का रेगिस्तान,

स्याह रातों का सूनापन,

दूर तक सिमटी ख़ामोशी।

अनवरत प्रतीक्षा के बीच,

एक उम्मीद की किरण,

कि शब्द- शब्द बुनकर,

बूंद-बूंद नैनों से पिघल कर,

एक लंबी प्रसव पीड़ा के बाद,

कोई धीरे से कहेगा -

सुनोपैदा हुई है

सचमुच एक कविता ।


-0-

 2-घाव

 

युद्ध लड़े जाते हैं,

मिसाइल और टैंकों से,

पर  युद्ध गढ़े जाते हैं,

अहमविद्वेष और आवेगों से।

सत्ता में बैठे लोग,

मशीनी बम होते हैं,

उन्हें फटना होता है,

उन रिहायशी इलाकों पर,

जहां -

पल रही थी अब तक,

प्रेम सौहार्द और सहानुभूति।

फैलाना होता है,

अपने वर्चस्व का धुआं

और साम्राज्यवाद की गंध।

जो क्रूर अट्टहास के साथ।

लील लेता है -

करोड़ों जिंदगियों को एक साथ।

उनके अपनों की,

मिट जाती है जिजीविषा।

रह जाते हैं -

सिर्फ अवशेष,

मृतप्राय आहत मानव,

असीम पीड़ा और

कभी न भरने वाले घाव !

-0-

 

मंगलवार, 8 मार्च 2022

335-समर्पण लिखूँगी

 

डॉ.कविता भट्ट 'शैलपुत्री'

  


आजीवन पिया को समर्थन लिखूँगी

प्रेम को अपना समर्पण लिखूँगी ।

 

निज आलिंगन से जिसने जीवन सँवारा

प्रेम से तृप्त करके अतृप्त मन को दुलारा ।

 

उसे आशाओं स्वप्नों का दर्पण लिखूँगी

प्रेम को अपना समर्पण लिखूँगी ।

 

प्रणय -निवेदन उसका था वो हमारा

न मुखर वासना थी; बस प्रेम प्यारा ।

 

उससे जीवन उजियार हर क्षण लिखूँगी

प्रेम को अपना समर्पण लिखूँगी ।

 

न दिशा थी, न दशा थी जब संघर्ष हारा

विकट-संकट से उसने हमको उस पल उबारा ।

 

उसमें अपनी श्रद्धा का कण-कण लिखूँगी

प्रेम को अपना समर्पण लिखूँगी ।

 

कौन कहता है जग में प्रेम जल है खारा

मैंने तो मोती-सीप सागर से ही पाया ।

 

इस जल पे जीवन ये अर्पण लिखूँगी

प्रेम को अपना समर्पण लिखूँगी।

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