(भारतीय नववर्ष पर विशेष
1-आशाओं का सूरज उगे तो
डॉ॰कविता भट्ट (हे न ब गढ़वाल विश्वविद्यालय,श्रीनगर गढ़वाल,उत्तराखण्ड)
प्राची के ऐसे अभिषेक
हों ।
आशाओं का सूरज उगे तो
निर्मल सबके बुद्धि-विवेक हों॥
द्वेष त्यागें, उत्थान करें मिल
हम भारतवासी सब एक हों।
पात दम्भ के सभी झर जाएँ
ममता -समता सब अतिरेक हों।
नवगीत मधुर खग-कंठ गाएँ
प्रेम-सद्भाव -सुमन अनेक हों॥
भारत माँ का यशोगान करें
हम भारतवासी सब एक हों॥
क्षुधाएँ शान्त, कंठ हों सिंचित
नव उन्मेष नवल अभिलेख हों।
'कविता' मातृभूमि-सेवा ,धर्म
इसमें निरत वर्ण प्रत्येक हों॥
नभ-दिगंत
छूने की ललक में
हम भारतवासी
सब एक हों।
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2-नव वर्ष मंगलमय हो
प्रभात पुरोहित(चमोली गढ़वाल ,उत्तराखंड)
नव दिवस नव चेतना- संग।
नव रक्त संचार हो रहा है।
नव पुष्प नव पल्लव -संग,
धरा का शृंगार हो रहा है।।
ऋतु बसंत की फुलवारी,
जीवन को सजा रही है।
दिशाएँ चारों जगती की,
नवगीत मंगल गा रही हैं।।
सुख की कोंपल लगी फूटने,
दुःख पतझड़ पार हो रहा
है।
रुग्ण बंधन तोड़ दिए सारे,
जीवन का नवाचार हो रहा
है।।
भरकर नई उड़ान जीवन की,
नील गगन दृश्य हो
रहा है।
चैत्र मास शुक्ल प्रतिपदा संग,
नव संवत्सर सुख बीज बो रहा है।
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