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मंगलवार, 7 दिसंबर 2021

298-प्रश्न

 

प्रश्न- बीना जोशी हर्षिता

 

महामारी,लॉकडाउन और


ऑनलाइन मुलाकातों के सिलसिले! 

स्नेह का स्रोत-सा,

मन के धरातल पर

अकस्मात् प्रस्फुटित होता है

और प्रेम की नन्ही- सी धार

निकलकर धीरे- धीरे बते हुए

एक विशाल नदी का

आकार ले लेती है।

हम दोनों के बीच

बहने वाली यह प्रेम-नदी

दो शहरों के तटबंधों को तोड़कर

सुदूर तुम्हारे घर तक जा पहुँचती है

और धकियाते  हुए

सभी रक्त-संबंधों

परिचितों एवं मित्रों को

तुम्हें अपने ही

आगोश में डुबो लेती है।

अपनेपन के मोह में उलझा

यह कोई पुराना नाता है,

 या इसी जन्म का रिश्ता?

 मेरी जिज्ञासा अकसर

 मुझसे प्रश्न करती है।

-0-6/12/2021