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गुरुवार, 1 नवंबर 2018

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[ डॉ. कुमुद बंसल , निदेशक हरियाणा साहित्य अकादमी के निर्देशन में महाविद्यालय के विद्यार्थियों  को लेखन से जोड़ने का एक अभियान चलाया गया । आज हमने ‘नवांकुर’ स्तम्भ के अंतर्गत उनकी रचनाएँ नीलाम्बरा पर देने की शुरुआत की है . आशा है। अन्य रचनाकारों  को भी हमारा यह प्रयास पसंद आएगा ।
डॉ.कविता भट्ट, हेमवती नन्दन बहुगुणा ,केन्द्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर , गढ़वाल (उत्तराखंड ) ]
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1-मोहन लाल
जरा -सा सँभलकर उड़ना ए परिंदों
परों को काटने वाले अपने भी होते है...
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2- माँ    ( माहिया छंद )
राहुल लोहट
1
कष्टों का हरण करें
मिलती हैं खुशियाँ
माथा माँ-चरण धरे।
2
दु:ख, सुख बन हँसते हैं
सारे ईश्वर- गुण
माँ के मन बसते हैं।
3
कड़वाहट मन भाती
मीठी डाँटे माँ
अनुशासन सिखलाती।
4
हँसती शीतल बनके
माँ की सब बातें
हिम्मत बन दिल खनके।
5
भोली माँ सूरत है
पर भोली सूरत
ईश्वर की मूरत है।
6
शीतलता काया में
है आनंद मिले
ममता की छाया में।
7
फूलों की डाली है
माँ सूरज किरणें
माँ सुख की प्याली है।

8
मन हर्ष सजाता है
माँ मुखड़ा दीपक
अँधकार मिटाता है।
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3-कीमत
हिमांशी धीमान   (पानीपत)


रोशनी की कीमत वो जानता है,
जिसने कभी अँधेरे को सहा हो।
मकान की कीमत वो जानता है,
जो कभी सड़कों पर रहा हो।।

मेहनत का मतलब वो जानता है,
जिसका कतरा-कतरा ख़ून बहा हो।
खुशियों की कीमत वो जानता है,
जिसने जीवन में दुःख सहा हो।

जीत की कीमत वो जानता है,
जो हर कोशिश में हारा हो।
सम्मान की कीमत वो जानता है,
जो अपनों की नज़र में बेचारा हो।

पैसों की कीमत वो जानता है,
जिसने जीवन में गरीबी देखी हो।
ईमान की कीमत वो जानता है,
जिसने हमेशा की बस नेकी हो।

प्यार की कीमत वो जानता है,
जिसने उसका इंतज़ार किया हो।
विश्वास की कीमत वो जानता है,
जिसने धोखे का घूँट पिया हो।
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