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रविवार, 17 फ़रवरी 2019

105-युवा लेखनी


1-मोहन लाल
1
करते रहे हैं सदा वतन की तो रक्षा जो
उनका तो हमेशा ही सम्मान होना चाहिए
भारत भूमि के लिए प्राणों को गवाँते हैं जो
उनका सदा ही आदर मान होना चाहिए
देश के लिए हम जिए और मरेंगे सदा
ऐसा हृदय में तो स्वाभिमान होना चाहिए
हिमालय की चोटी पे झंडा मेरा लहराए
और मेरा भारत ये महान होना चाहिए
2
वंदेमातरं गान गाने से भी जो रोकते हैं
भारत माता की जय से जो कोई लजाते है
देश के विरोध में जो नारेबाजी करते हैं
पाक से प्रेम कर वो औकात भी दिखाते हैं
उनको क्या पता जन गण मन गान का जो
राष्ट्र गान में भी खड़े तक ना हो पाते हैं
वीरों की शहादत पे आँसू तक बहते ना
पत्थरबाज तक को महान जो बताते हैं
-0-तहसील पिहोवा, जिला कुरुक्षेत्र-136030

2- स्वाति शर्मा  (पानीपत)

कहाँ है तू रब्बा 
है भी के खो गया 
या राक्षसों से डरकर 
तू भी कहीं सो गया। 
तेरे मासूम, बेगुनाह 
बेवजह जान गवाँ चुके 
और तू किसी कोने में 
समाधि लगाए बैठा है। 
इंसानियत मर गई है 
छाया घोर अंधेरा है 
देख तो सही बेगुनाहों को 
किस षड्यंत्र ने घेरा है।
अब तो उठ जा 
त्रिनेत्र खोलकर 
या अब भी तेरा 
मन ना भरा है।। 
उठ जा कहीं 
देर ना हो जाए 
विश्वास कहीं 
अंधविश्वास ना हो जाए।
कहाँ है तू रब्बा 
है भी के खो गया 
या राक्षसों से डर कर 
तू भी कहीं सो गया !
-0-
3-आह्वान करो
ओम प्रकाश (पंचकूला)

शांति का आलाप छोड़कर
आज क्रान्ति का गान करो
मेरे युवा साथियो
युद्ध का आह्वान करो

कुछ जानो की बात नही ये
रोग बहुत पुराना है
आतंकवाद के कीड़े का
नामो- निशान मिटाना है
बहुत हुआ अब और नही
माफी का दान बंद करो
मेरे युवा साथियो
युद्ध का आह्वान करो

जो देश मे मेरे रहते है
भारत की रोटी खाते है
और गद्दारी दिखलाते है
ऐसे सँपोले लोगो से
उनकी ही भाषा मे बात करो
शांति का आलाप छोड़कर 
राग दीप का गान करो 
मेरे युवा साथियो 
युद्ध का आह्वान करो !
-0-