1
जब भी रोया
विकल मन मेरा
तुमको पाया।
2
निर्मल बहे
पहाड़ी झरने -सा
प्रेम तुम्हारा।
3
नेह तुम्हारा
सर्दी की धूप जैसा
उँगली फेरे।
4
गूँज रही है
मन-नीरव घाटी
प्रेम-बाँसुरी।
5
प्रेम-अगन
अनोखे आलिंगन
बर्फीली सर्दी।
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