गुरुवार, 22 फ़रवरी 2024

489

 

रश्मि विभा त्रिपाठी

1


कब तुझपे
मेरा इख़्तियार है
मगर फिर भी
तेरा इंतजार है।
2
मेरी ज़िन्दगी की किताब में
और क्या कुछ खास है
हर हर्फ में सिमटा हुआ
सिर्फ तुम्हारा ही एहसास है।
3
न यूँ प्यार से मिलो
जब कल जुदा हो जाओगे
और तुम मेरे लिए
उस पल खुदा हो जाओगे।
4
मुझमें इस तरह से
गुम हो
मुझमें मैं कहाँ हूँ
सिर्फ तुम हो।
5
सिर्फ़ अपने से मतल
न प्यारी दूजे की ख़ुशी
ऐसों को चाहना है
एक तरह की ख़ुदकुशी!
6
लोग
जो दिल से मिलते हैं
दुनिया में
मुश्किल से मिलते हैं।
7
तुम्हें जो प्यार कर पाए
पूरी शिद्दत से
बगैर कुछ भी चाहे,
ऐसा शख़्स मिलता है
इत्तेफ़ाक से
किसी जनम में
कभी गाहे- बगाहे।
8
अफसोस दिल में पनाह दी
कैसों- कैसों के लिए
जो मर गए जरा- सी देर में
चंद पैसों के लिए।
9
कितने खुश होते हैं
कहाँ मलाल करते हैं
किसी का लोग जब
इस्तेमाल करते हैं!
10
काश! कोई तो दे दे
इस सवाल का जवाब
क्यों पहनते हैं लोग
चेहरे पर नकाब?
11
जिसके नाम
मैंने
अपनी ज़िन्दगी लिखी
उसको मुझमें
सिर्फ
जरूरत ही दिखी।
12
मैं क्या करूँ
कोई बताए कुछ तरकीब
हर बार छल जाता है
मुझको मेरा नसीब।
13
क्या बुरा है
मुझ पर ये अजाब आना
मैंने खुदा को छोड़कर
एक बुत को खुदा माना।
14
चश्म- ए- दीदा- ए- पुरनम नहीं
तू साथ है अब कोई गम नहीं।
15
बाद मुद्दत के भी
लम्स- ए- खुशबू की
वो तासीर जिन्दा है
एक सूखा हुआ गुलाब
मेरी किताबों में
अब भी महकता है।

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