गुरुवार, 1 जून 2023

457-जिद्द

प्रो. इंदु पाण्डेय खंडूड़ी


 

समय से लड़ाई अपनी है,

कौन जीत पाया है समय से,

पर किसने छोड़ा लड़ना इससे ।

सबके अपने समंदर है,

जद्दोजहद से पार करने को।

सबके है अपने तरीके,

अलग-अलग सभी की नसीहतें।

सबके अपने चाहतों की रफ्तार,

प्रयासों की उमस, आशा की बयार।

जिंदगी में असफ़लता की कड़क धूप,

कहर बरपाती निराशा की तेज धार।

कौन और कब बच पाया है,

समय से सबकी लड़ाई अपनी है।

जीतना या हारना निश्चित नहीं,

पर लड़ते हुए जीतने की जिद्द अपनी है।

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2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण कविता।
    हार्दिक बधाई आदरणीया।
    🌷💐🌹

    सादर

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  2. सुन्दर...
    ये जीवन है इस जीवन का यही है रंग रूप
    थोड़े ग़म हैं, थोड़ी खुशियाँ, यही है छाँव धूप

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