गुरुवार, 4 मार्च 2021

189-मद धूल में मिल जाएगा

 1-मद धूल में मिल जाएगा

 डॉ .कविता भट्ट ‘शैलपुत्री’

 

कुकुरमुत्ते दे रहे- चुनौतियाँ आसमान को;

कूप-मंडूकों का नर्तन, टर्र-टर्र अभिमान वो।

बरसात है- सावन न समझो।

गूगल से साभार

सागर की औकात क्या
, मौसमी नाले कहें।

तोड़के तटबंध सारे, अराजक होकर बहें।

बरसात है- सावन न समझो।

अँधेरों को है उदासी, जुगनुओं के पुंज यों।

इनमें भी तो आग है, है वो सूरज गर्म क्यों?

बरसात है- सावन न समझो।

मौसमी घासें करें कुश्ती- फसल से रात-दिन।

झाड़ियों के शीश भी उन्नत हैं- मर्यादा के बिन।

बरसात है- सावन न समझो।

मद धूल में मिल जाएगा- जब ये मौसम जाएगा।

चार दिन की है अकड़- कैसे आनन्दगान गाएगा?

बरसात है- सावन न समझो।

रिमझिम के प्यार- सा, कुछ तो सावन जी ही लें।

प्रेयसी के मनुहार- सा, भिगोएँ- भीग खुद भी लें। 

बरसात को सावन ही समझो।

-0-

2-मुक्तक- डॉ .कविता भट्ट ‘शैलपुत्री’

 

बाँटनी है तुझसे सर्द रातों की ठिठुरन,

ज़िंदगी तू आना गर्म कम्बल लेकर।

जाने क्यों मुझे टाट के पैबन्द प्यारे हैं

क्या करूँगी सपनों का मखमल लेकर?

-0-

3-मुक्तक-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

बहुत मिलेंगे पथ में हमको,

ढोल बजाकर गाने वाले

बहुत मिलेंगे विषधर बनकर,

जब चाहे डँस जाने वाले 

हमको रोज हलाहल पीना

फिर भी हमको जीना होगा,

शिव- शिवा के हम तो वंशज,

कभी न शोक मनाने वाले

-0-

17 टिप्‍पणियां:

  1. रिमझिम के प्यार- सा, कुछ तो सावन जी ही लें। बहुत सुन्दर भाव प्रस्तुत किया है डॉ. कविता ने

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  2. हमको रोज हलाहल पीना...
    कम्बोज भाई ने मुक्तक की हर पंक्ति में जीवन की सच्चाई को रेखांकित किया है... लेकिन इन सबके बाद भी हमें हार नहीं मानना है...

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  3. बहुत सुंदर रचनाएँ कविता जी की और कंबोज भाई जी की

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  4. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 04 मार्च 2021 को साझा की गई है.........  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  5. मद धूल में मिल जाएगा- जब ये मौसम जाएगा।

    चार दिन की है अकड़- कैसे आनन्दगान गाएगा?
    बहुत सुंदर,गहरे भाव । बधाई कविता जी।

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  6. मद धूल में मिल जाएगा- जब ये मौसम जाएगा।

    चार दिन की है अकड़- कैसे आनन्दगान गाएगा?
    बहुत सुंदर,गहरे भाव । बधाई कविता जी।

    जवाब देंहटाएं
  7. मद धूल में मिल जाएगा- जब ये मौसम जाएगा।

    चार दिन की है अकड़- कैसे आनन्दगान गाएगा?
    बहुत सुंदर,गहरे भाव । बधाई कविता जी।

    जवाब देंहटाएं
  8. हमको रोज हलाहल पीना

    फिर भी हमको जीना होगा,
    जीवन के सत्य का वर्णन करते सुंदर मुक्तक। बधाई

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  9. बहुत सुंदर भाव हैं कविता जी कुकरमुत्ते दे रहे चुनौतियाँ... अति सुंदर हार्दिक बधाई। भाई कम्बोज जी को भी सुंदर सृजन के लिए ढेरों शुभकामनाएँ और बधाई।

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  10. दोनों रचनाएँ बहुत सुंदर एवं भावपूर्ण! आप दोनों को हार्दिक बधाई!
    ~सादर शुभकामनाओं सहित
    अनिता ललित

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  11. बहुत सुंदर भावपूर्ण रचनाएँ। भाई काम्बोज जी और कविता जी को हार्दिक बधाई।

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  12. कविता जी एवं काम्बोज जी की रचनाएं पढकर एक नई प्रेरण मिलती है | जीवन का दर्पण है | एक -एक शब्द में गहराई है | अति सुंदर भावपूर्ण ! हृदय से बधाई -श्याम हिन्दी चेतना

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  13. अति सुन्दर एवं भावपूर्ण।
    हार्दिक बधाई आप दोनों को।

    सादर-
    रश्मि विभा त्रिपाठी

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  14. मद सच में किसी का नहीं ठहरता, धूल में मिल ही जाता है | बहुत ओजपूर्ण रचना कविता जी, बहुत बधाई आपको |
    आदरणीय काम्बोज जी ने अपनी हरेक पंक्ति में जीवन की सच्ची तस्वीर दिखा दी है , ढेरों बधाई |
    आनंद आया आप दोनों की रचनाएँ पढ़ कर, आभार |

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  15. दोनों ही रचनाएँ लाजवाब!
    आप दोनों को हार्दिक बधाई।

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  16. आप सभी प्रबुद्धजन का हार्दिक आभार।

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  17. आप दोनों की रचनाएँ बहुत सुन्दर है. बधाई आप दोनों को.

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