शुक्रवार, 6 जनवरी 2023

414-अनुशासन नदी का

डॉ. कविता भट्ट 'शैलपुत्री'

बलिष्ठ हैं

तटबंध की भुजाएँ

यह कहना -

उतना ही झूठ है

जितना यह -

कि सूरज ने

उगने को मनाही कर दी

बादल हों; भिन्न विषय है

ठीक वैसे ही

नदी तय सीमा में

बह रही है

इसका यह अर्थ कदापि नहीं

कि तटबंध बलवान हैं

धन्यवाद कहो नदी को

कि वह संलग्न है

कर्त्तव्य- निर्वाह में

और अनुशासित है;

लेकिन युगधर्म है कि

नदी का अनुशासन

मान लिया गया सदियों से

उसकी दीनता का प्रतीक,

और तटों को

दे दिया गया

अधिकार बाँधे रखने का

अकारण ही

है ना दुराग्रह और धृष्टता!!

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3 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर रचना। किंतु श्रीमद्भगवद्गीता में योगेश्वर श्रीकृष्ण अर्जुन को समुद्र बनने का उपदेश देते हैं। क्योंकि वर्षाकाल में नदियां भी अपने तट का उल्लंघन कर जाती हैं।

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  2. बहुत सुन्दर भावों से सुसज्जित यथार्थ पूर्ण सृजन

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  3. वाह्ह्ह! अत्यंत सुन्दर सारगर्भित रचना... जीवन दर्शन का छायादृश्य अंकित हुआ है... 🌹🙏

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