रविवार, 10 अप्रैल 2022

343- राम वही हैं

राजीव रत्न पाराशर, कैलिफोर्निया


सात वृक्ष और एक बाण की कथा विदित है राम वही हैं।


मानव मन में मर्यादा का मर्म मुदित है राम वही हैं॥


वाणी मे जो वेद विधा विद्या व्यापित है राम वही हैं।

नित्य निरंतर अनहद में जो नाद निहित है राम वही हैं॥


सिया, गौतमी, शबरी का उद्धार उचित है राम वही हैं।

दशरथ- सुत, दशशिर -भंजन, दश दिश चर्चित हैं राम वही हैं॥


सुष्मित, भूषित, संकोची संवाद सुमित हैं राम वही हैं।

अजानुभुज, पुरुषोत्तम अश्वःमेध विजित हैं राम वही हैं॥


राजीवलोचन, पंकज पद, करकमल कथित हैं राम वही हैं।

विकट समय में साहस का जो भाव प्लवित है राम वही हैं ॥

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18 टिप्‍पणियां:

  1. भगवान श्री राम के निर्मल स्वरूप का सजीव चित्रण।

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  2. राजीव भाई आप की लेखनी में स्वयं ईश्वर का वास है

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  3. अति उत्तम. ऐसे शब्द नहीं है हमारे पास जो हम आपकी तारीफ मे लिख सके.

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  4. हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता
    अति उत्तम
    ।। राम राम ।।

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  5. राजीव जी बहुत सुंदर रचना, मेने इन पदों को गाने योग्य स्वरो में ढाला है, इसे गाकर मन को अदभुत शांति मिलती है।आपकी लेखनी को शत् शत् नमन🙏

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  6. अति सुंदर प्रस्तुति। भगवान राम के श्री चरित्र का उत्कृष्ट वर्णन। बहुत बधाई।

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  7. आज जब साहित्यकारों की कविता गद्यात्मक हो चली ह्रै IT के टेक्नीकल एक्सपर्ट होते हुए भी कोई युवा छंद के अनुशासन का पालन करे हिन्दी की गरिमा का मान रखे और भारत की संस्कृति के गौरव स्तंभ श्री राम का वर्णन करे। ये तीनो संयोग आपकी लेखनी को शारदा का साक्षात आशीष संकेतित करते हैं।साधुवाद।
    माँ शारदा आपको यशस्वी करे।

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  8. अप्रतिम सृजन प्रिय राजीव जी

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  9. भगवान राम के श्री चरित्र का उत्कृष्ट वर्णन व सुंदर प्रस्तुति।

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  10. कितना सुंदर चित्रण, वर्णन कितना सजीव
    जैसे दुनिया का कोहिनूर,वैसे हमारे आप राजीव

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