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शुक्रवार, 27 सितंबर 2024

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चम्पा के फूल

डॉ. कविता भट्ट 'शैलपुत्री'

 


प्रेमी ने बाहें फैलाते हुए कहा -

सुनो सुनैना

मैं बाहर खड़ा हूँ

हाथों में

कुछ चंपा के फूल लिये हुए,

फूल जो तुम्हारी घुँघराली लटों पर

सजकर इतराना चाहते हैं,

फूल जो विश्वास दिलाना चाहते हैं-

कि प्रेम ऐसा भाव है,

जो अगाध है, अनंत है:

आओ इन फूलों को विश्वास दिलाओ

कि ये तुम्हारे पावन प्रेम के योग्य हैं।

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