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शनिवार, 30 सितंबर 2023

478

 फिर से

 

राधा मैंदोली

 


लौ-सी फड़फड़ाकर 

शांत हो जाने के बाद

एक हिचकी अनमनी- सी 

फिर जला जाती है, जी ।

 

टूटकर सब तार, वीणा के

 बिखर जाने के बाद

एक सरगम मधुबनी -सी

फिर जुड़ा जाती है, जी ।

 

 क्या कहूँ ? तुमको ,जो 

मुझ में ही रहेवर्षों  के बाद

 छुअन तेरी, मूर्छिता का

 फिर जिला जाती है, जी ।

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