स्वामी विवेकानंद जी ने युवाओं में सुसंस्कार को बताया प्राथमिक आवश्यकता: डॉ. कविता भट्ट 'शैलपुत्री'
दिनांक
12.1.2023 को डॉ भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा से
संबद्ध पालीवाल महाविद्यालय शिकोहाबाद की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई एवं डॉ भीमराव
अंबेडकर विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना सेल के संयुक्त तत्वाधान में राष्ट्रीय
युवा दिवस के अवसर पर युवाओं के प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेकानंद नामक विषय पर व्याख्यान
का आयोजन उनकी 160वीं जयंती के उपलक्ष्य में किया गया जिसमें
मुख्य अतिथि राष्ट्रीय सेवा योजना के क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर अशोक कुमार श्रोती,
मुख्य वक्ता डॉ कविता भट्ट 'शैलपुत्री',
ख्यातिलब्ध लेखिका और मुख्य न्यासी शैलपुत्री फाउंडेशन थीं।
अपने उद्बोधन
में डॉ कविता ने कहा कि स्वामी जी को युवा पढ़ें उनके बताए हुए चार प्रमुख सिद्धांतों
अर्थात् धैर्य , शुद्धता,
दृढ़ता और प्रेम का पालन करें। उन्होंने स्वामी जी की पुस्तक
द यूथ ऑफ इंडिया को पढ़ने के लिए भी सहभागियों को प्रेरित किया ।
राष्ट्रीय
सेवा योजना में विद्यार्थियों को संबोधित करते
हुए ख्यातिलब्ध लेखिका डॉ. कविता भट्ट शैलपुत्री
ने कहा कि भारतवर्ष सर्वाधिक युवाओं का देश है। देश को आगे बढ़ाने में युवाओं की महत्त्वपूर्ण
भूमिका है। इसके लिए स्वामी विवेकानंद जी द्वारा
दिए गए जीवन के अनेक सिद्धांतों में से शुद्धता, धैर्य, दृढ़ता प्रेम और सहिष्णुता ऐसे सूत्र हैं जो युवाओं
को अपने जीवन में अपनाने चाहिए। डॉ कविता भट्ट
ने कहा कि विवेकानंद जी ने कठोपनिषद के सूत्र उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत
अर्थात् उठो, जागो और लक्ष्य प्राप्त होने
तक वरेण्य जन से सान्निध्य द्वारा बोध जैसे पावन उद्देश्य की प्राप्ति के लिए समर्पण
भाव से प्रयास करते रहो। यही जीवन का मूल मंत्र
होना चाहिए।
डॉक्टर
भट्ट ने यह भी कहा कि शिक्षा वह है जो सुसंस्कार प्रदान करे और सुसंस्कार हमारे जीवन
में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करते हैं । सुसंस्कृत होकर युवाओं को आत्मविश्वास और चरित्र निर्माण के साथ
अपना, अपने राष्ट्र और विश्व के लिए उन्नयन का मार्ग प्रशस्त
करना चाहिए। आज छोटी-छोटी चुनौतियों से घबराकर
युवा तनाव, अवसाद और दुश्चिंता के कारण या तो नशे की ओर चले जाते
हैं या फिर आत्महत्या कर लेते हैं। ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए स्वयं पर विश्वास रखते
हुए हमेशा अच्छे प्रयास करते हुए अपने स्वर्णिम भविष्य के लिए समर्पित भाव से कार्य करना चाहिए। प्रेम और सहिष्णुता जीवन का आधार हैं। अच्छे जीवन
दर्शन के रूप में हमें राष्ट्र, प्राणियों, प्रकृति, समाज और मानव समाज से प्रेम करना आवश्यक है।
क्षेत्रीय
निदेशक ने कहा विद्यार्थी विवेकानंद जी के आदर्शों को जीवन का भाग बनाएं महाविद्यालय
के प्राचार्य प्रोफेसर प्रवीण कुमार ने छात्र-छात्राओं को स्वामी जी की प्रेरणा लेकर
स्वयं को राष्ट्र निर्माण में सहभागी बनने के लिए कहा राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक
एवं व्याख्यानमाला के संयोजक प्रोफेसर रामवीर सिंह चौहान ने स्वामी विवेकानंद जी के
जीवन पर प्रकाश डाला। राष्ट्रीय सेवा योजना के जिला नोडल अधिकारी एवं व्याख्यानमाला
के आयोजन सचिव डॉ एमपी सिंह ने स्वामी विवेकानंद जी के द्वारा दिए गए स्लोगन 'उठो जागो
और तब तक नहीं रुको जब तक आप अपने लक्ष्य की प्राप्ति नहीं कर लेते' के बारे में बताया। संचालन कार्यक्रम अधिकारी द्वितीय डॉ. टी एच नकवी ने किया । कार्यक्रम में डॉ. क्षमा
रस्तोगी, डॉ. जयप्रकाश श्रीवास्तव, डॉ. मनोज
पांडे, बीडी जैन की नौशीन सभा, दिव्या,
ईश्वर, कौशलेंद्र, अमित,
अक्षरा, देवेश दीक्षित,निशा,
उमा गुप्ता, खुशबू सिंह, दीक्षा कुमारी, दिशा जैन दीप्ति यादव
बंदना कुमारी, दीक्षा सक्सेना, अंकिता
यादव, भावना यादव आदि अनेक वॉलिंटियर्स मौजूद रहे ।
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3-संस्कृत समाचार निम्नलिखित लिंक पर-
स्वामी विवेकानंद: उक्तवान् यत् युवावस्थायां सम्यक् संस्कृति: प्राथमिकी आवश्यकता अस्ति :डॉ कविताभट्ट 'शैलपुत्री'
आपके उत्कृष्ट चिंतन का उदाहरण ।
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