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मंगलवार, 5 अप्रैल 2022

341-पत्थर के आँसू-2


डॉ.कविता भट्ट  'शैलपुत्री'




 

7 टिप्‍पणियां:

  1. उत्कृष्ठ भावों का संवहन करती कविता

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  2. परन्तु रोया बहुत मेरा भी मन...
    मन को गहरे तक छूने वाले हैं हर शब्द। बधाई

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  3. उम्दा भावपूर्ण रचना...बहुत बधाई कविता जी।

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  4. सुंदर रचना कविता जी 🙏🌹💐 स्त्री मन यूँ ही होता है... सबकुछ खोने के पश्चात् ही रोता है... 🙏

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  5. अति सुंदर दिल को छू जाने वाली सीधी दिल से निकली कविता !

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  6. आदरणीया दीदी,
    बहुत ही भावुक कर गई आपकी यह रचना।
    आपको नमन इस उत्कृष्ट रचना के लिए।



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