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मंगलवार, 8 मार्च 2022

335-समर्पण लिखूँगी

 

डॉ.कविता भट्ट 'शैलपुत्री'

  


आजीवन पिया को समर्थन लिखूँगी

प्रेम को अपना समर्पण लिखूँगी ।

 

निज आलिंगन से जिसने जीवन सँवारा

प्रेम से तृप्त करके अतृप्त मन को दुलारा ।

 

उसे आशाओं स्वप्नों का दर्पण लिखूँगी

प्रेम को अपना समर्पण लिखूँगी ।

 

प्रणय -निवेदन उसका था वो हमारा

न मुखर वासना थी; बस प्रेम प्यारा ।

 

उससे जीवन उजियार हर क्षण लिखूँगी

प्रेम को अपना समर्पण लिखूँगी ।

 

न दिशा थी, न दशा थी जब संघर्ष हारा

विकट-संकट से उसने हमको उस पल उबारा ।

 

उसमें अपनी श्रद्धा का कण-कण लिखूँगी

प्रेम को अपना समर्पण लिखूँगी ।

 

कौन कहता है जग में प्रेम जल है खारा

मैंने तो मोती-सीप सागर से ही पाया ।

 

इस जल पे जीवन ये अर्पण लिखूँगी

प्रेम को अपना समर्पण लिखूँगी।

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6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुन्दर कविता।

    हार्दिक बधाई आदरणीया दीदी 🌷💐

    सादर🙏

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  2. सुंदर! बहुत बधाई कविता जी!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  3. बहुत सुंदर रचना, बहुत -बहुत बधाई कविता जी।

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  4. वाहह बहुत सुंदर सृजन... प्रेम को अपना समर्पण लिखूँगी.... बहुत ही सुंदर 🌹🙏🌹

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  5. अगाध प्रेम की भावपूर्ण अभिव्यक्ति हेतु ढेर सारी बधाई कविताजी ।

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  6. निस्वार्थ प्रेम की समर्पित सुंदर अभिव्यक्ति

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