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बुधवार, 28 अक्तूबर 2020

174-ओ समय !

 डॉ.कविता भट्ट 'शैलपुत्री'


ओ समय ! 
तुझे  कहते सभी बलवान, 
मैं भी पहाड़ी नदी हूँ,

यदि तू है कठोर चट्टान l 

तेरा कठोर सीना चीर, 
बलवती होकर गुजरूँगी, 
क्रूर परतों को मिटा,
हस्ताक्षर करके ही रहूँगी l

मेरी लहरों पर लिखी, 
पंक्तियाँ उदास सही आज,
मेरा होगा कल- मीलों चल, 
सागर तक पहुँचकर ही रहूँगी l








10 टिप्‍पणियां:

  1. बेहद सुन्दर और भावपूर्ण रचना।
    हार्दिक बधाई आदरणीया।
    सादर!

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  2. कविता मुझे गर्व है ,तुम्न्हारी इन पंक्तियों पर | तुम नवयुवकों की परिभाषा हो | अपने भारत की आशा हो | श्याम -हिन्दी चेतना

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  3. बहुत सुन्दर और प्रेरक रचना... हार्दिक बधाई आपको कविता जी !

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  4. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 28 अक्टूबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  5. बहुत सुन्दर, ऊर्जावान हृदय की अभिव्यक्ति ।बहुत-बहुत बधाई ।

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    1. मेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है।पढ़े और प्रतिक्रिया दें

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  6. बहुत बढ़िया


    मेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है

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