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गुरुवार, 25 अप्रैल 2019

दरवाज़ा


1 टिप्पणी:

  1. बहुत सुंदर लिखा है पहाड़ों से पलायन का दर्द बखूबी उजागर किया है जो कवि की पीड़ा को पारदर्शी करती है कोई स्थिति बन हवा की तरह फिर कोई लॉट आए दरवाजा प्रतीक्षा में है बधाई डॉ कविता भट्ट जी

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