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रविवार, 17 अक्तूबर 2021

282-फिर से तैयारी

 




9 टिप्‍पणियां:

  1. संघर्षशील ईमानदार महिला की व्यथा को सार्थक रूप में चित्रित किया गया है

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  2. व्यवस्था जोड़ तोड़ से हर जगह पर आधिपत्य जमाए है,पर शिक्षा या ज्ञान का महत्त्व सर्वकालिक है,इसीलिए शिक्षा कॉपी पेन लेकर आगे के युद्ध के लिए तैयारी में पुनः जुट जाती है,शिक्षा कुछ देर के लिए परेशान अवश्य होती है,पर हताश नहीं,वह सकारात्मक चिंतन के साथ पुनः यात्रा शुरू करती है।बहुत ही सशक्त और प्रेरक लघुकथा है।कविता भट्ट जी को बहुत बहुत बधाई।

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  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  4. pm
    समकालीन व्यवस्था के सम्बन्ध में सुन्दर लघुकथा।

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  5. एकदम सही व्यंग, हिंदुस्तान में तो व्यवस्था के अभाव में शिक्षा को कोई महत्व देता नहीं।

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  6. आज की शिक्षा और व्यवस्था पर आप की लघु कहानी श्रेष्ठ एवं सार्थक है।

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  7. वर्तमान समय की विद्रूपता का सटीक चित्रण किया है आपने ...
    हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!

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  8. वर्तमान का कटु सत्य। शिक्षा सड़कों पर और व्यवस्था महलों में।

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  9. आज के कड़वे सच को बखूबी दर्शाती बहुत भावपूर्ण रचना!

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