भारतवर्ष के सुनियोजित सतत विकास हेतु यथोचित जनसंख्या नियंत्रण कानून सरकार द्वारा शीघ्र ही लागू किया जाना आवश्यक है; यह बात डॉ कविता भट्ट 'शैलपुत्री', हे. न. ब. गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय, उत्तराखंड द्वारा कही गयी। वे पालीवाल कॉलेज शिकोहाबाद तथा बेंगकुलु विश्वविद्यालय, इंडोनेशिया के संयुक्त तत्त्वावधान में जनसंख्या और सतत विकास विषय पर आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय वेबिनार में उद्घाटन सत्र में भारत से वक्ता के रूप में बोल रही थी।भारतवर्ष के संदर्भ में जनसंख्या नियंत्रण कानून की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि इस दिशा में सख्त कानून लागू होना आवश्यक है। साथ ही उन्होंने कहा कि इस दृष्टि से नियम पालन न होने की स्थिति में सरकार को दंडात्मक प्राविधान भी बनाने होंगे। यदि हमारे देश की जनसंख्या इसी गति से बढ़ती रही तो अगले कुछ वर्षों में चीन को पछाड़ते हुए हम जनसंख्या के मामले में विश्व के सबसे बड़े देश होंगे। सीमित संसाधनों के कारण हमारे देश का एक बहुत बड़ा वर्ग गरीबी रेखा से नीचे है। आज भी हमारे देश ही नहीं अनेक देशों में लोग गरीबी, भुखमरी और बेरोजगारी के शिकार हैं। जीवन-स्तर में उन्नयन और सतत विकास के लिए जनसंख्या को नियंत्रित करना हमारे देश की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए; इसीलिए जनसंख्या नियंत्रण की ठोस नीति और कानून आवश्यक है। राजनीतिक दृष्टि से इसे धर्म, जाति या वर्ग आदि के चश्में से न देखते हुए देश-हित में कानून लागू होना चाहिए।
डॉ भट्ट ने कहा कि 1970 के दशक के बाद जनसंख्या वृद्धि को रोकने की दिशा में सरकार ने कोई भी
कार्य नहीं किया। धर्म, जाति, लिंग,
वर्ग और अन्य चश्मों से देखते हुए केवल वोट बैंक के कारण जनसंख्या
विस्फोट की स्थिति तक पहुंचने पर भी सरकारें सोई रहीं। इस
निद्रा को तोड़ते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2020 में
लाल किले से यह कहा कि जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए कोई भी व्यक्ति जो
प्रयास करता है, सच्चे अर्थ में वह देशभक्ति करता है।
जनसंख्या नियंत्रण को व्यापक सतत विकास का
दार्शनिक आधार प्रस्तुत करते हुए डॉ भट्ट ने दार्शनिक दृष्टिकोण से विकास की एंथ्रोपिसेंट्रिक(मानवकेंद्रित), बायोसेंट्रिक( जैव केन्द्रित) और इकोसेंट्रिक(पारस्थितिकी थ्योरीज़ को व्याख्यायित किया।
डॉ .भट्ट ने कहा कि पूरे पृथ्वी ग्रह पर मनुष्य
अपनी सुविधा और विकास हेतु मानवकेंद्रित, जैव केन्द्रित
हो गया है और वह पारस्थितिकी केंद्रित अवधारणा की अवहेलना कर रहा है, जिससे
भविष्य में मनुष्य के साथ ही पूरी प्रजातियों के अस्तित्व समाप्त हो सकते हैं।
इसलिए अत्यधिक जनसंख्या वृद्धि सतत विकास में
नहीं अपितु एकतरफा विकास में फलीभूत हो रही है।
सतत विकास के लिए जनसंख्या नियंत्रण न केवल
भारतवर्ष, अपितु उन सभी देशों में आवश्यक है जहाँ आनुपातिक दृष्टि से संसाधनों की
तुलना जनसंख्या अधिक है। इसमें धर्म, जाति, लिंग, वर्ग और क्षेत्र आदि को मुद्दा नहीं बनाया
जाना चाहिए। मानवजाति के साथ ही समग्र ग्रह के कल्याण हेतु इसे करना चाहिए।
इस अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार के मुख्य आयोजक प्रो . एम .
पी . सिंह, विभागाध्यक्ष, जीवविज्ञान, पालीवाल
कॉलेज, शिकोहाबाद तथा डॉ गुस्वारणी अनवर, वानिकी विभाग, बेंगकुलु विश्वविद्यालय, इंडोनेशिया थे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आगरा तथा बरेली
विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति मोहद मुजम्मिल तथा विशिष्ट अतिथि राहुल पालीवाल, प्रबंधक, पालीवाल कॉलेज ने भी जनसंख्या और सतत विकास
के विविध पक्षों को स्पष्ट किया।
अंतरराष्ट्रीय वक्ता नेपाल से डॉ . डी .
के . झा तथा बांग्लादेश से डॉ . बी .
के . चक्रबॉर्ती ने जनसंख्या
वृद्धि को एक वैश्विक समस्या बताया और जनसंख्या नियंत्रण की आवश्यकता पर बल दिया।
इस वेबिनार में देश-विदेश के सैकड़ों शिक्षकों और
छात्रों ने प्रतिभाग किया।
प्रस्तुति: ब्यूरो
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देवभूमि जे के न्यूज़ / खास बात/ डॉ कविता भट्ट ‘शैलपुत्री’
अन्तर्राष्ट्रीय वेबिनार में 'जनसंख्या एवं सतत विकास' विषय पर उत्कृष्ट व्याख्यान।
जवाब देंहटाएंएक ज्वलंत मुद्दे पर महत्वपूर्ण बिंदुओं के माध्यम से प्रस्तुतीकरण दे गम्भीर समस्या को सहज रूप से समझाने का सुन्दर प्रयास।
हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ आदरणीया 🌹🌹🙏🏻
सादर