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गुरुवार, 15 नवंबर 2018

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श्रीनगर गढ़वाल, उत्तराखण्ड

चल पड़े राहों में कदम,अब न रुक पाएँगे हम
सत्ता हमें क्या रोकेगी,इंकलाब लाएँगे हम।।
हम  ऐसा एक नया जहाँ बनाएँगे,
जहाँ मानव-मानव का शोषण ना कर पाएँगे
धन-बल का न राज होगा,नशे का सर्वनाश होगा
फिर ना सीता हरेगी और ना दुश्शासन होगा
मेरे शहीदों के सपनों का एक नया भारत होगा।।

जहाँ किसान ना बेबस होगा, फसले फिर लहराएँगी
संकुचित ना होगी शिक्षा,पूर्ण प्रकाश फैलाएगी
एक आदर्श होगा हर मानव बेमानी भी घबरागी
सैंतालीस की मिली तभी आजादी कहलागी।।

परिवर्तन तो लाना होगा समय की यही पुकार
देश से मुँह मैं कैसै मोड़ूँ स्वार्थी जीवन को घिक्कार
पलट देंगें ऐसी सत्ता को,जहाँ ना होगा समान अधिकार
उच्च नीति-नैतिकता को लेकर चलना होगा मिलकर साथ
जाति  भेद  नहीं होगा , फिर न होगी धर्म की बात
सत्ता के गलियारों में प्रपंचकों की चाल ना होगी
फिर होली दिवाली क्या ईद रौशन हर रात  होगी
मेरे भारत देश की तब एक ही पहचान होगी
खुशी और मृद्धि जहाँ  प्यारा  विहान होगी

14 टिप्‍पणियां:

  1. देश भक्ति की सुन्दर रचना हेतु हार्दिक बधाई प्रिय भारती जोशी।

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  2. अच्छी कविता भारती जोशी जी। निरंतर सृजन करते रहें।

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  3. Waw..U r multitalent and this poem is really beautiful.seriously am vry happy.gudluck

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  4. Waw..U r multitalent and this poem is really beautiful.seriously am vry happy.gudluck

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  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  6. सुंदर कविता मन में भरी ज्वाला सच्चे परिवर्तन की सुंदर सोच प्रदर्शित करती है

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